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आज प्रदोष व्रत के दिन भोलेनाथ की पूजा के बन रहे ये शुभ मुहूर्त, यहां पढ़ें संपूर्ण बुध प्रदोष व्रत कथा

Neemuch headlines July 7, 2021, 7:29 am Technology

प्रदोष व्रत आज यानी 07 जुलाई 2021, दिन बुधवार को है। बुधवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 07 जुलाई से शुरू होकर 08 जुलाई की सुबह 03 बजकर 20 मिनट तक रहेगी। इसके बाद चतुर्दशी तिथि लग जाएगी।

प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में करनी चाहिए।

सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय प्रदोष काल कहा जाता है। कहा जाता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

इन शुभ मुहूर्त में करें भगवान शिव की पूजा:-

ब्रह्म मुहूर्त- 03:41 ए एम से 04:22 ए एम तक।

विजय मुहूर्त- 02:09 पी एम से 03:04 पी एम तक।

गोधूलि मुहूर्त- 06:28 पी एम से 06:52 पी एम तक।

अमृत काल- 02:43 पी एम से 04:31 पी एम तक।

निशिता मुहूर्त- 11:32 पी एम से 12:14 ए एम, जुलाई 08 तक।

सर्वार्थ सिद्धि योग- पूरे दिन बुध प्रदोष व्रत कथा:- बुध प्रदोष व्रत की कथा के अनुसार, एक पुरुष का नया-नया विवाह हुआ। विवाह के 2 दिनों बाद उसकी पत्‍नी मायके चली गई।

कुछ दिनों के बाद वह पुरुष पत्‍नी को लेने उसके यहां गया। बुधवार को जब वह पत्‍नी के साथ लौटने लगा तो ससुराल पक्ष ने उसे रोकने का प्रयत्‍न किया कि विदाई के लिए बुधवार शुभ नहीं होता। लेकिन वह नहीं माना और पत्‍नी के साथ चल पड़ा।

नगर के बाहर पहुंचने पर पत्‍नी को प्यास लगी। पुरुष लोटा लेकर पानी की तलाश में चल पड़ा। पत्‍नी एक पेड़ के नीचे बैठ गई। थोड़ी देर बाद पुरुष पानी लेकर वापस लौटा, तब उसने देखा कि उसकी पत्‍नी किसी के साथ हंस-हंसकर बातें कर रही है और उसके लोटे से पानी पी रही है। उसको क्रोध आ गया। वह निकट पहुंचा तो उसके आश्‍चर्य का कोई ठिकाना न रहा, क्योंकि उस आदमी की सूरत उसी की भांति थी। पत्‍नी भी सोच में पड़ गई। दोनों पुरुष झगड़ने लगे। भीड़ इकट्ठी हो गई। सिपाही आ गए। हमशक्ल आदमियों को देख वे भी आश्‍चर्य में पड़ गए। उन्होंने स्त्री से पूछा ‘उसका पति कौन है?’ वह कर्तव्यविमूढ़ हो गई। तब वह पुरुष शंकर भगवान से प्रार्थना करने लगा- ‘हे भगवान! हमारी रक्षा करें। मुझसे बड़ी भूल हुई कि मैंने सास-ससुर की बात नहीं मानी और बुधवार को पत्‍नी को विदा करा लिया। मैं भविष्य में ऐसा कदापि नहीं करूंगा।’ जैसे ही उसकी प्रार्थना पूरी हुई,

दूसरा पुरुष अंतर्ध्यान हो गया। पति-पत्‍नी सकुशल अपने घर पहुंच गए। उस दिन के बाद से पति-पत्‍नी नियमपूर्वक बुध त्रयोदशी प्रदोष का व्रत रखने लगे।

प्रदोष व्रत के नियम:-

1. प्रदोष व्रत करने के लिए व्रती को त्रयोदशी के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए।

2. नहाकर भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए।

3. इस व्रत में भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है।

4. गुस्सा या विवाद से बचकर रहना चाहिए।

5. प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

6. इस दिन सूर्यास्त से एक घंटा पहले नहाकर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।

7. प्रदोष व्रत की पूजा में कुशा के आसन का प्रयोग करना चाहिए।

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