नेताओं की चांदी कटती रही है नौकरी वाले को तनख्वाह मिलती रही है बड़े बड़ों को कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन सबसे मुसीबत का दौर तो गुजरा है साहब हमारा ......गरीब.... मध्यमवर्ग ... जो लाचारी में डूबा ..... अब आर्थिक हालातों से उबरने के लिए खोल दो पूरा लॉकडाउन क्योंकि अब कुछ कमाने दो... पेट के लिए नहीं तो फिर कोरोना आ जाएगा...... कुछ नहीं हो रहा है साहब 5 किलो गेहूं जो फ्री में खा लेंगे तो ...... यह तो सिर्फ एक जिंदगी से समझौता मात्र है... पर अबअभी के हालात पूरे देश में कोरोना संक्रमण की संख्या में कमी आ रही है कोरोना से हर वर्ग की आर्थिक स्थिति खराब हुई है इसे पुनः पटरी पर लाने के लिए छोटे बड़े सभी तरह का व्यापार पूर्णत्व गाइडलाइन के तय मुताबिक खोल देना चाहिए संक्रमण की रोकथाम के लिए भीड़ इकट्ठे ना हो इसके लिए व्यवस्था की जानी चाहिए आम आदमी एक दूसरे की बात नहीं मानता है लेकिन पुलिस प्रशासन का डर लोगों में होना चाहिए शहरी और सभी ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस गश्त लगातार जारी रहना चाहिए जिससे ज्यादा भीड़ ना बढ़ सके हर व्यक्ति गाइडलाइन का पालन करें मास्क सैनिटाइजर सभी आवश्यक होने चाहिए प्रशासन वह आमजन को इसके लिए लगाता प्रचार प्रसार जारी रखना नितांत आवश्यक है व्यापार-व्यवसाय मजदूरी चलेगा तो धीरे-धीरे आर्थिक स्थितियां ठीक होती जाएगी इसके लिए व्यवसाय होना चाहिए सभी प्रकार की गतिविधियां शुरू की जाए।
साथ ही जिले में स्वास्थ्य सेवाओं में बढ़ोतरी की जाना नितांत आवश्यक है ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव है जहां-जहां अस्पताल है वहां डॉक्टरों और दवाओं का पूर्ण रूप से बंदोबस्त किया जाना चाहिए व्यवस्था की जानी चाहिए कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सिर्फ लॉकडाउन ही काफी नहीं है व्यवस्थाएं आवश्यक है।