शनि जयंती शनि के प्रकोप से बचने के लिए इस दिन घर पर करें ये उपाय, फिर देखें चमत्कार

Neemuch headlines June 10, 2021, 7:36 am Technology

ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि है. इस दिन को श्नैश्चर अमावस्या, शनि अमावस्या और शनि जयंती के नाम से भी जानते हैं. मान्यता है कि ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन ही शनि देव का जन्म हुआ था, इसीलिए इस दिन शनि जयंती के नाम से भी जाना जाता है.

शनि का जीवन में महत्व:-

शनि देव का जीवन में विशेष महत्व है. शनि देव मुनष्य को उसके कर्मों का फल प्रदान करते हैं. शनि को दंडाधिकारी बताया गया है, जो मनुष्य के अच्छे बुरे कार्यों का हिसाब कर उसे शुभ-अशुभ फल प्रदान करते हैं. ज्योतिष शास्त्र में शनि को सभी नवग्रहों में न्यायाधीश बताया गया है.

शनि की कथा:-

स्कंद पुराण में शनि देव को सूर्य देव और माता छाया का पुत्र बताया गया है. माता छाया को संवर्णा के भी नाम से जाना जाता है. वहीं कुछ धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि शनि देव का जन्म, ऋषि कश्यप के नेतृतव में होने वाली यज्ञ से हुआ है.

शनि मंत्र:-

नीलांजनसमाभासं रविपुत्र यमाग्रजम, छायामार्तंड सम्भूतं नं नमामि शनैश्चरम।

शनि की दृष्टि:-

शनि की दृष्टि को शुभ नहीं माना गया है. वर्तमान समय में मिथुन राशि, तुला राशि, धनु राशि, मकर राशि और कुंभ राशि पर शनि की दृष्टि है. मिथुन और तुला पर शनि की ढैय्या, धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती है.

शनि अशुभ फल:-

जॉब, करियर, शिक्षा, लव रिलेशन, दांपत्य जीवन, सेहत और व्यापार में जब दिक्कत आने लगें और ये काम होने की बजाए बढ़ती ही जाएं तो समझ लेना चाहिए कि शनि देव नाराज हैं.

शनि उपाय:-

शनि जयंती का दिन शनि देव को प्रसन्न करने के लिए उत्तम माना गया है. इस दिन घर की छत पर झंडा या पताका लगानी चाहिए. इसके साथ ही शनि मंदिर में शनि देव को सरसों का तेल, काले तिल चढ़ाने चाहिए. इसके साथ ही इस दिन शनि देव से जुड़ी चीजो का दान करना चाहिए. परिश्रम करने वालों का सम्मान करना चाहिए. पशु-पक्षियों को भोजन देना चाहिए.

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