जनप्रतिनिधियों की उदासीनता का नतीजा 16 से अधिक गांव के लोग खा रहे ठोकरे, नीमच व अन्य जगह करवा रहे इलाज-
नीमच। 15 से 16 गांव के बीच गिरा ढाई हजार की आबादी वाला नीमच विधानसभा सीमा का आखरी गांव बोरदियाकलां के हालात इस कोरोना काल में बद से बदतर हो रहे है। कोरोना व अन्य बीमारियों से बीते कुछ समय में गांव 16 से 17 के लगभग मौते हो चुकी है। गांव के लोगो में दहशत व्याप्त है। गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र होने के बाद भी गांव के लोगो को नीमच, मनासा सहित अन्य निजी चिकित्सालयों में इलाज करवाना पड रहा है। बोरदियाकलां व आसपास के 16 से अधिक गांव के पीड़ित जरूरतमंद व कोरोना पीड़ित मरीज को इलाज हेतु व अन्य जगहों पर जाना पड रहा है। क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की अनदेखी और घोर लापरवाही के कारण आज बोरदियाकला के हालात स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर बद से बदतर व दयनीय हो गये है। बोरदियाकलां के बदतर हालातो के लिए क्षैत्र के जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों और अधिकारी/कर्मचारियों की घोर अनदेखी बताते हुए जिला कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष ओम दीवान ने बताया कि उनसे बोरदियाकलां गांव के लोगो ने इस संबंध में शिकायते की। कोरोना महामारी में कैसे गांव के लोग चिकित्सा सेवा के लिये यहां वहां दर दर की ठोकरे खा रहे है इसकी शिकायते की है।
ओम दीवान ने बताया कि गांववासियों ने उन्हें बताया कि बोरदिया कलां में वर्ष 2014 के पहले जब तत्कालीन मनमोहन की कांग्रेस सरकार थी उस समय राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की बिल्डिंग बनाई गई थी। इसी उद्देश्य के साथ कि गांव के व आसपास लोगो को इससे स्वास्थ्य लाभ मिलेगा। 1 करोड़ के लगभग लागत के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के हालात यह है कि 6-7 वर्ष बाद भी अभी तक पूरा काम भी नहीं हुआ है। बताया जा रहा है कि इस स्वास्थ्य केन्द्र में पूर्व में एक डाॅक्टर आया था वह समय पर आता था, एक दिन आधा घंटा लेट होने पर उसकी शिकायत गांव के कुछ लोगो ने की थी जिसके चलते उस डाॅक्टर को वहां से हटा दिया गया। वर्तमान में जिस डाॅक्टर को यहां पदस्थ किया है उसको इस कोरोना महामारी में गांववासियों के साथ धोखा करते हुए जिम्मेदारों ने उसे यहां से हटाकर अन्य दूसरी जगह पर ड्यूटी हेतु लगा दिया है। एक मेडम आती है बताया जा रहा है वह बीमार है। जिसके चलते अनाथों की तरह स्वास्थ्य केन्द्र पड़ा है। वर्तमान में एक कंपाउण्डर आता है वह भी कुछ समय के लिये रूकता है निकल जाता है। वर्तमान में तो दवाई गोंली की व्यवस्था भी नहीं है। गांववासियों के पूछने पर कंपाउण्डर कहता है आगे से दवाई की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। पीडित दवाई लेने जाते है तो आगे से दवाई नहीं आ रही कहकर टरका दिया जाता है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में लगभग चार पाॅच कमरे है, जहां कोविड सेन्टर बनाया जाकर बोरदियाकला व आसपास गांव के लोगो का इलाज किया जा सकता है लेकिन ऐसा नहीं होने से लोगो को नीमच, मनासा व अन्य जगहों पर इलाज के लिऐ दर-दर की ठोकरे खाने पर मजबूर होना पड रहा है। गांव के हालात बहुत खराब है। क्षैत्र के विधायक व जिला पंचायत के सीईओ मेडम गांव में छात्रावास जहां विद्यार्थी रहते है उनके पलंगो को देख गये और कोविड सेन्टर बताकर मात्र औपचारिकता पूर्ण कर गये। पीछे मुडके नहीं देखा कि बोरदियाकला की स्थिति क्या है। जब कि बोरदियाकलां गांव के वर्तमान में कोरोरा व अन्य बीमारियों से बहुत लोग बीमार है नीमच,मनासा में सिविल व प्रायवेट में भर्ती है।
जिला कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष ओम दीवान ने जिम्मेदारों को आगाह करते हुए कहा है कि गांव की जनता के साथ धोखा न करे। वे बिना किसी भेदभाव के मानवता का परिचय देते हुए बोरदियाकलां व आसपास गांव की सुध लेकर गांव में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर स्थायी डाॅक्टर की नियुक्ति करवाकर स्वास्थ्य केन्द्र का प्रतिदिन संचालन करवाया जाये। गांव में दिखावटी नहीं बल्कि ऐसा कोविड सेन्टर बनाया जाये जो धरातल पर हो और जिसका उपयोग हो सके जिससे उसका बोरदियाकला व आसपास लगे गांवो लोगो को लाभ मिले और कम लक्षण वाले मरीजों का यहां इलाज हो सके और गांव के लोगो को अन्य जगहों पर दर दर की ठोकरे ना खाना पडे।