50 से अधिक पुरुष वर्ग ने दी तीर्थंकर परिचय परिक्षा
सिंगोली। नगर में चातुर्मास हेतु विराजमान आर्यिका श्री प्रशममति माताजी ने 17 अगस्त रविवार को प्रातः काल 8 बजें श्री शान्तिसागर सभा मण्डपम श्री विद्यासागर सन्त निलय पर सगीतमय श्री पार्श्वकथा पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि संयम धारण किए बिना मोक्ष सम्भव नही हो सकता है कर्म कि निर्जरा तब ही होती है जब हमारे जीवन में व्रत संयम होता है हमारा शरीर इतना अद्भुत यंत्र हैं की जब हम भीतर होते हैं तो शरीर ऑटोमेटिक हो जाता है अपनी व्यवस्था पूरी करने लगता है आपको कोई चिंता करने की जरूरत नहीं रहती साधना का मतलब यह है कि शरीर ऐसा हो कि आप जब आप भीतर चले जाए तो उसे आपकी कोई जरूरत ना हो वह अपनी व्यवस्था कर ले अगर खाने पर जोर दिया तो वह दमन और काया को कष्ट देने वाली बात है क्या आचार्य महाराज व आर्यिका माताजी कि तरह कोई निर्जरा उपवास एक माह तक आदमी बिना खाए रह सकता है उपवास का मतलब है कि व्यक्ति अपनी आत्मा में इतना लीन हो जाता है कि शरीर का उसे पता ही नही रहता है जैन दर्शन के अनुसार बिना सम्यक दर्शन प्राप्त किये कोई मनुष्य मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकता है जिसने सम्यक दर्शन को समझ लिया उसे फिर किसी की कामना ही नहीं रह जाती यानी स्थिति के अनुसार यथायोग्य अपेक्षा रहित विचार कार्य व व्यवहार करता रहता है सबसे पहले स्वयं के लिए फिर पर के लिए जब स्वयं और पर का भेद समाप्त हो जाता है तो वह व्यक्ति सम्यक दर्शन को प्राप्त कर लेता है धर्मसभा के पुर्व मंगलाचरण रिना सांवला ने चित्र अनावरण किया तो वही दिप प्रज्वलन दिलिप कुमार साकुण्या परिवार को प्राप्त हुआ एवं शात्र भेट करने का सोभाग्य महिलाओं को प्राप्त हुआ वही माताजी ससघ के सानिध्य में युवावर्ग व पुरुष वर्ग के लिए तीर्थंकर परिचय परिक्षा आयोजित हुई जिसमें बडी संख्या में समाजजनों ने उत्साह पूर्वक भाग लिया माताजी ससघ के सानिध्य में चातुर्मास के दोरान अनेक धार्मिक आयोजन हो रहे है जिससे बडी संख्या में समाजजन पुण्य अर्जित कर रहे हैं।