आज भगवान श्री कृष्ण का 5252 वां प्राकट्योत्सव अष्टमी तिथि योग में मनाया जाएगा।

भगत मांगरिया August 17, 2025, 4:44 pm Technology

चीताखेड़ा। श्रृष्टि के पालनहार भगवान श्री विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्री कृष्ण का धर्म ग्रंथो के मुताबिक पौराणिक कथाओं के अनुसार द्वापर युग में 5251 सालों पूर्व इसी तिथि पर जन्माष्टमी के दिन जन्म प्राकट्योत्सव हुआ था। तब से लेकर आज तक पूरे देश और दुनिया में भाद्रपद माह के अष्टमी तिथि के दिन भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व बड़ी धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस बार बने शुभ योग में व्रत रखने से भक्तों के व्रत को 4 गुना अधिक फल मिलने वाला है। माखन - दधिप्रिय विश्व का सर्वात्कृष्ट ज्ञानी योगेश्वर भगवन श्री कृष्ण के जन्म के समय जो योग बने थे आज उसी शुभ योग अष्टमी तिथि को जन्मोत्सव मनाया जाएगा, जिसमें साधु -संत,संन्यासी और गृहस्थी सभी एक ही दिन श्री कृष्ण की भक्ति उपासना कर पाएंगे। 5252 वर्ष पूर्व जिसी तिथि नक्षत्र में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था आज भी वहीं तिथि का योग बना है। श्री कृष्ण का व्यक्तित्व एवं कृतित्व इतना विशाल एवं व्यापक है कि उन्हें पूर्णावतार भी कहा गया है। विश्व के वृहत्तम महायुद्ध के संचालक, सूत्रधार और नायक बनकर धर्म की स्थापना करते हैं श्री कृष्ण वास्तव में भारत की लोक चेतना के सहजस्वर है। वे गुरुओं के भी गुरु है योगेश्वर है। माखन - दधिप्रिय है, युद्ध क्षेत्र में दोनों सेनाओं के मध्य में खड़े होकर अर्जुन को विश्व का सर्वात्कृष्ट ज्ञान भी देते हैं।इस वर्ष जन्माष्टमी पर्व आज दिवस 16 अगस्त 2025 शनिवार को अंचल भर में देवकीनंदन भगवान श्री कृष्ण का 5252 वां प्राकट्योत्सव आधी रात को घंटी, घड़ियाल, शंख की स्वर लहरियों के बीच धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। इस दिन नटखट नंदकिशोर का भव्य अभिषेक,मनमोहक श्रृंगार और अलौकिक पूजा अर्चना की जाती है। साथ ही कृष्ण भक्त लड्डू गोपाल के आगमन की खुशी में व्रत रखते हैं। अंचल भर के सभी देवालयों में भगवान श्री कृष्ण का आधी रात को जन्मोत्सव मनाया जाएगा। भगवान के जन्मोत्सव के अवसर पर गांव-गांव गली मोहल्लों में गोविंदाओं की टोलियों द्वारा दही की हांडियां फोड़ की प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती हैं।

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