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कोरोना काल में मध्यम वर्गीय लोगों का जीना हुआ दुश्वार, घरों में न तो इलाज के लिए पैसा है,और न खाने के लिए है आटा और दाल

निर्मल मूंदड़ा May 13, 2021, 7:51 pm Technology

रतनगढ़। गत वर्ष आई कोरोना वायरस संक्रमण वैश्विक महामारी में मध्यमवर्गीय परिवारों की आर्थिक रूप से पूरी तरह से कमर तोड़ कर रख दी थी गत वर्ष की कौरोना काल के भयंकर दंश को मध्यमवर्गीय अभी तक पूरी तरह से भूल भी नहीं पाया था आर्थिक विषमताओं से जूझते हुए जैसे तैसे इस वर्ष वह अपने पैरों पर धीरे धीरे खड़े होने का प्रयास कर रहा था कि इस वर्ष फिर से कोरोना वायरस महामारी का तांडव उसके सर पर मंडराने लगा। गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी जहां गरीब वर्ग के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों ने अपने खजानो के द्वार पूरी तरह से खोल दिए है। गांव में काम कर रहे अप्रवासी लोगों के लिए जहां राशन का किट प्रशासन द्वारा प्रदान किया जा रहा है।

वही गरीब वर्ग के लोगों के लिए भी राशन सामग्री सहित नगद राशि भी सरकारों के द्वारा प्रदान की जा रही है। जिससे उनका गुजारा आसानी से चल जाएगा। लेकिन इन सबके बीच एक बहुत बड़ा वर्ग बेचारा मध्यम वर्गीय दो चक्की के पाटों के बीच पीसाता जा रहा है उसके सामने समस्या यह है कि वह किसी के आगे कटोरा लेकर भीख भी नहीं मांग सकते, मजबूरन कई परिवारों के घर में खाने के लाले पड़ गए हैं पिछले 1 माह से अधिक समय से कोरोना कर्फ्यू के चलते जहां सभी छोटे बड़े दुकानदार व व्यापारी अपने घरों में बैठे हुए हैं वही महामारी कोरोना के चलते कईयों ने अपने मां-बाप, भाई-बहन,बेटा-बेटी, पति-पत्नि,दादा-दादी आदि रिशतेदारों को को खो दिया है एसे मे न तो शासन प्रशासन का कोई नुमाइंदा या कोई नेता या जनप्रतिनिधि इनकी पूछ परख या खेर खबर लेने इनके पास आया है और ना ही मदद का आश्वासन ही दिया है। एसे मे मध्यमवर्गीय परिवार मजबूर एवं लाचार नजरों से केवल भगवान की तरफ ही टकटकी लगाएं देख रहा है कि अब आप ही मेरे और मेरे परिवार की रक्षा के लिए कुछ तो उपाय बताएं।

लेकिन हैरान कर देने वाली बात यह भी है कि इस बार भगवान भी इनकी नहीं सुन रहा है। शासन प्रशासन या इनके नुमाइंदों का मन आज भी मध्यम वर्गीय परिवारों की लाचारी एवं परेशानीयो को देखकर नहीं पसीज रहा है कि इस वर्ग के लोगों को भी आर्थिक रूप से सहायता प्रदान की जाए।आज मध्यम वर्गीय परिवारों के हालात इतने बद से बदतर हो चुके है कि अब तो घर में इलाज के लिए भी बिल्कुल पैसा नही बचा है दोनो समय खाने के लिए घर में आटा और दाल के भी लाले पड़ गए है कई परिवारों के तो भूखों मरने की नौबत आ गई है। केंद्र एवं राज्य की सरकारों के मुखिया को चाहिए कि मध्यम वर्गीय परिवार की समस्या को ध्यान में रखते हुए कोई योजना बनाकर इनकी समस्या का भी निदान करने का प्रयास किया जाए।

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