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कोरोना से मुक्ति के लिए झांतला ग्रामवासियों ने नगर के सभी मंदिरों पर पूजा पाठ अर्चना व हवन की आहुतियां लगाई

प्रदीप जैन May 8, 2021, 3:43 pm Technology

झांतला के भेरू जी स्वयंभु है व पूर्व में प्लेग जैसी महामारी को भी भगाया था

सिंगोली। आज पूरा विश्व सहित भारत देश कोराना जैसी महामारी से लड़ रहा है। जिसके चलते लाखों लोग इस महामारी से ग्रसित होकर हजारों की तादाद में अब तक असमय ही काल के गाल में समा चुके हैं ।

आज क्या गांव क्या शहर हर कोई इस महामारी के चलते आर्थिक व मानसिक रूप से परेशान हैं । हर चेहरे पर भय खौफ दहशत साफ देखी जा सकती हैं ।

भौतिकता के वैज्ञानिक व कंप्यूटर युग में भी आज इस महामारी से पूरा विश्व लड नहीं पा रहा है। सरकार ओर डॉक्टर लोगों की जान बचाने में लगे हुए हैं। लेकिन फिर भी पर्याप्त इलाज व संसाधनों के अभाव में अनगणित लोग रोज मर रहे हैं। कोरोना महामारी में जहां ऐसी सच्चाई सामने आ रही हैं कि कोरोनावायरस की चपेट वाले व्यक्ति से अपने परिवार वाले ही अपनों से मुंह फेर रहे हैं। उन्हें लावारिस छोड़ कर भाग रहे हे लेकिन इस महामारी के दौर में भी कहीं-कहीं इंसानियत और मानवता दिखाई दे रही है जो ऐसे मरीजों की सेवा वह मदद में अपने नही होते हुए भी उनका इलाज व सेवा कर रहे हैं। आज इस विपदा की घड़ी में लोग आर्थिक मदद व संसाधन उपलब्ध करवाने के साथ पूजा प्रार्थना इबादत कर अपने अपने भगवान से इस महामारी से निजात की कामना कर रहे हैं। इसी महामारी के चलते झांतला तथा आसपास के गांव के लोग भेरुजी की शरण में आकर इस महामारी के प्रकोप से बचाने की भेरू जी से प्रार्थना कर रहे हैं। इसी के चलते भेरुनाथ मंदिर सहित नगर के प्रमुख मंदिरों में हवन पूजा एवं रामायण पाठ आदि का आयोजन कर क्षेत्र में इस महामारी से कोई जन हानी ना हो ऐसी कामना कर रहे हैं। ग्राम झांतला के बड़े बुजुर्गों का मानना है कि झांतला के भेरू जी की मूर्ति की प्रतिष्ठा नहीं की गई है यह अपने आप जमीन से प्रकट हुई है स्वयंभू मूर्ति होने के साथ काफी चमत्कारी हे झांतला भेरुजी इनको लेकर कहीं किवंदतिया व कहानियां है भेरू जी के इतिहास में उनकी मूर्ति के बारे में बुजर्गों ने बताया कि मोटे तौर पर झांतला भेरुजी अति प्राचीन और चमत्कारिक होने के साथ ही ग्राम में आने वाली हर विपदा संकट वह महामारी को टालते आए हैं । क्षेत्रवासियों का ऐसा मानना है कि कहीं वर्षों पहले जब फ्लैक महामारी आई तब भी झांतला में कई लोगों की मौतें हुई थी और लाशों को जलाने के बजाय कुएं में डाली गई इस महामारी से परेशान हताश लोग जब एकत्रित होकर भेरू जी की शरण में गए ओर उनसे विनती प्रार्थना की गई तब भेरुजी साक्षात प्रकट होकर प्लेक महामारी नाम के दानव से तलवारों से लड़ाई लड़ी जिससे ग्रामवासियों ने प्रत्यक्ष रूप से उस भयानक लड़ाई की तलवारों से आने वाली आवाजों को सुना लड़ाई के बाद ग्राम में उस महामारी से एक भी मौत नहीं हुई थी झांतला भेरुजी भक्तों की कहीं तरह की मन्नतें पूरी की है कहीं महिलाओं की सुनी गोद भरी है। आज भी क्षेत्र वासी भेरुजी की लग्न पाती अपने लड़के लड़कियों का विवाह करते हैं झांतला भेरुजी पर लोगों की आस्था और विश्वास इतना है कि बड़े-बड़े महानगरों में दूर दराज से भक्तगण आज भी भेरुजी से अपनी मन्नतें मांगते हैं वह मन्नत पूरी होने पर शनिवार रात्रि जागरण कर रवीवार को प्रसादी बनाकर चढ़ाते हैं। रविवार को मंदिर में कभी-कभी पांव रखने की जगह नहीं मिल पाती है कोरोना जैसी महामारी का असर झांतला क्षेत्र में भी काफी फैल चुका है और इससे कहीं मोत भी हो चुकी है लोगों में दहशत साफ नजर आ रहा है अब फिर एक बार लोग भेरू जी की शरण में आकर इस महामारी से बचाने की गुहार लगा रहे हैं ।

गांव के वरिष्ट जनों का कहना

झांतला के भेरुजी आंधी तूफान वाला ओलावृष्टि से इस क्षेत्र की पूर्व में भी रक्षा करते रहे यहां के भेरुजी जमीन फोड़ कर निकले हैं वह काफी चमत्कारीत हैं भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करते आए हैं बहुत जल्दी भेरू जी के हवन व रात्रि जागरण कर इस महामारी को टालने की भेरू जी से विनती करेंगे

ओंकारलाल धाकड़ पूर्व सरपंच ग्राम झांतला

भेरुजी सहित ग्राम के सभी मंदिरों पर हवन पूजा पाठ महामारी को रोकने के लिए अच्छी पहल है जब दवा काम नहीं आती तब दुआ व प्रार्थना काम आती है झांतला भेरुजी के बारे में जो कहानियां है वह प्रमाणिक वह सत्य रही है चाहे विज्ञान इसे माने या नही माने पर डॉक्टर भी मानते हैं दवा के साथ दुआ वह प्रार्थना का भी असर होता है हमें भी इलाज के दौरान अपने ईश्वर व भगवान पर भरोसा होता है

रामनारायण सैन

वयोवृद्ध कांग्रेस नेता झांतला

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