मंदसौर। सत्ता परिवर्तन होते ही मध्यप्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने तस्करों के खिलाफ फिर अभियान चलाया। और देखते-देखते मध्यप्रदेश के कई जिलों में तस्करों की हालत खराब हो गई। और वही देखने में आया की कई तस्करों की बेनामी संपत्ति को प्रशासन ने खुर्द बुर्द भी किया। इसके बाद भी नीमच मंदसौर जिला पूरे भारत में तस्करी के नाम से जाना जाता है। काले सोने के इस खेल में कई नामचीन लोगों ने रातों-रात करोड़ों की संपत्ति बना ली है।
आखिर उनके हौसले बुलंद करने के लिए किसने उनको सहयोग किया..? वहीं इन दिनों तस्करी में कमल राणा का नाम बहुत ही सुनने में आया, लेकिन सूत्रों की मानें तो यह जानकारी भी सामने आ रही है कि कमल राणा की आड़ में कई और गिरोह तो पनप गए और पुलिस को कमल राणा की तरफ घुमा कर बाकी लोग अपना उल्लू साथ रहे हो।
इस समय जिला का नारायणगढ़ क्षेत्र तस्करो का बड़ा हब बन चूका है जहा से लगातार तस्करी की जानकारिया सूत्रों से मिलती है लेकिन यहाँ पुलिसिया कार्यवाही नाम मात्र की होती है जोकि थाना अधिकारियो की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़े कर रही है, हा ये जरूर है की कुछ कार्रवाहिया यहाँ हुई है लेकिन वे भी विवादों में नजर आई है कभी माल कम करने की खबरे मिली तो कभी तस्करो को छोड़ने की खबरे मिली और पीछे कुछ समय पहले तो डोडाचूरा की गाड़ी पकडे जाने पर कमल राणा का नाम बड़े ही जोरशोर से उछाला गया,
लेकिन पुलिस ने यहाँ चुप्पी साध रखी, कुछ लोगो को इस मामले में झूठा फसाये जाने की धमकियों तक की बाते भी आई जिसे लेकर ज्ञापन भी मप्र शासन के मंत्री जगदीश देवड़ा को समाजजनो ने भी दिया,और फिर अब उसी मामले में पुलिस ने कमल राणा के गुर्गे बताते हुए दो लोगो को धर लिया, लेकिन यहाँ भी एक बड़ा सवाल ये है की जब मीडिया के लोगो ने बार बार थाना प्रभारी अवनीश श्रीवास्तव से इस मामले में कमल राणा या और लोगो शामिल होने की बात पूछी गई तो कोई जवाब वे उस समय देते दिखाई नहीं दिए, पर अब एकाएक दो लोगो को तस्करी मामले में पकड़ लेना और इस मामले में एक बार फिर से कमल राणा का नाम ही उछलना झोलझाल सा लगता है। ऐसे में ये एक बड़ा विचारणीय सा लगता है की कही राणा के नाम का फायदा इस क्षेत्र की अन्य तस्कर लाबी तो नहीं उठाने में लगी है...? क्योकि हमारे मुखबिर तो ये बताते की राणा गेंग अब यहाँ सक्रीय नहीं है।
वैश्विक महामारी ने जहाँ पूरे देश मे खलबली मचा दी ऐसे में हर एक आदमी आज डरा सहमा अपने घर मे बैठा है। लेकिन तस्कर गिरोह अभी भी सक्रिय होकर तस्करी में लिप्त है। कुछ खाकी के सिपाही उनके इस काम मे सहयोगी बने हुए है। आखिर एक अकेला आदमी तो यह सबकुछ कर नही सकता फिर इतने बडे पैमाने पर यह खेल किसके इशारे पर हो रहा है। मंदसौर के ईमानदार पुलिस कप्तान सिद्धार्थ चौधरी ने तस्करो की कमर तौड़ के रख दी है। लेकिन नारायणगढ़ में तस्करी का खेल वापस चरम पर शुरू हो गया है। स्थानीय लोगो ओर कुछ बाहरी लोगों ने मिलकर पूरा मायाजाल बिछा रखा है। जिसके चलते आये दिन तस्करो की गाड़ियां बेख़ौफ़ निकलने की खबरे मिलती है। सुनने में यह भी आ रहा है कि कुछ नए तस्करो के गरोह सक्रिय हुए है जो लॉक डाउन का पूरा फायदा उठा रहे है।और लाखों का डोडाचुरा पुलिस के तथाकथित लोगो के संरक्षण में ही ये खपाने में लगे है।
अगर मंदसौर पुलिस कप्तान सिद्धार्थ चौधरी एक टीम तैयार कर इस पूरे मामले की बारीकी से जांच करवाएं तो कई बड़े मामले निकल कर सामने आ सकते हैं। जिसमे कुछ अधिकारी भी नप सकते है, और कई लोग इसमें बेनकाब भी हो सकते हैं जोकि वर्दी की आड़ में तस्करो से जा मिले है।और हो सकता है कि समय रहते अगर यह कार्यवाही हो जाए तो ऐसे तस्कर गिरोह पनपने से पहले ही खत्म हो जाए।