नवरात्रि के दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, यहां जानें पूजन विधि और मंत्र

Neemuch headlines April 14, 2021, 6:42 am Technology

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. मां का यह रूप काफी शांत और मोहक माना जाता है. जो व्यक्ति मां के इस रूप की पूजा करता हैं उसकी हर मनोकामना पूरी होती है. मां ब्रह्मचारिणी के हाथों में अक्षमाला और कमंडल सुसज्जित हैं . मां यह स्‍वरूप आपको ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए प्रेरित करता है

पूर्वजन्म में इस देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारदजी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी. इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया. एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया|

कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहे. तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं. इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए. कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं. पत्तों को खाना छोड़ देने के कारण ही इनका नाम अपर्णा नाम पड़ गया. कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया. देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताया, सराहना की और कहा कि हे देवी आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की. यह तुम्हीं से ही संभव थी. तुम्हारी मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे. अब तपस्या छोड़कर घर लौट जाओ. जल्द ही तुम्हारे पिता तुम्हें बुलाने आ रहे हैं.

ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा विधि:-

देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर उनका ध्यान करें और प्रार्थना करें. इसके बाद देवी को पंचामृत स्नान कराएं, फिर अलग-अलग तरह के फूल,अक्षत, कुमकुम, सिन्दुर, अर्पित करें. देवी को सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाएं. इसके अलावा कमल का फूल भी देवी मां को चढ़ाएं और इन मंत्रों से प्रार्थना करें.

ब्रह्मचारिणी देवी के मंत्र:-

या देवी सर्वभेतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः..

दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू.

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा..

ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी.

सच्चीदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते..

तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्. ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी.

शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणीप्रणमाम्यहम्॥

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