मुखिया की गलती का खामियाजा भुगत रहा किसान, विभाग की गफलत में आर्थीक एवं मानसिक रूप से परैशान किसान, नहीं लगा पाया अफीम की फसल को चीरा
मनासा। किसान को करीब 10 वर्षों बाद अफीम का पट्टा मिला, तो उसने अपनी एक मात्र कृषि भूमि पर अफीम की फसल की बोवनी की। बोवनी से लेकर अफीम के डोडो में चीरा लगने के बीच दो बार नारकोटिक्स की टीम ने मुखिया की उपस्थिति में पट्टे की नपती की। लेकिन जैसे ही डोडो में चीरा लगाने का समय आया मुखिया की गलती के कारण किसान डोडो में चीरा नहीं लगा पाया। मुखिया ने किसान द्वारा जिस कृषि भूमि पर अफीम की बोवनी की उसकी जानकारी नारकोटिक्स विभाग को नहीं दी। ऐसे में शिकायत होने पर विभाग ने अफीम बोवनी वाली कृषि भूमि को अवैध बताकर किसान को चीरा नहीं लगाने के निर्देश दिए। नतीजा अब किसान चीरा नहीं लगाकर अफीम की सुरक्षा को लेकर आर्थीक एवं मानसिक रूप से परैशान हो रहा। वही विभाग की गफलत चीरा नहीं लगाने की स्थिति में किसान ने विभाग से अफीम की फसल को नष्ट करवाने की मांग की।
गांव रेवली देवली के पीडित किसान दिनेश पिता कंवरलाल नागदा ने बताया कि 10 वर्ष बाद अफीम का पट्टा मिला। मेरे द्वारा गांव रेवली देवली से मात्र ढेड किलो मीटर दूर गांव निपानिया विरान के अंतर्गत आने वाली एक मात्र कृषि भूमि पर अफीम की बोवनी की। जिस कृषि भूमि पर मेरे द्वारा अफीम की बोवनी की गई वह भूमि निपानिया विरान राजस्व भूमि के अंतर्गत आती हैं। निपानिया विरान सिर्फ कागजों में दर्ज गांव है, मोके पर गांव नहीं हैं। वही अफीम की बोवनी से पुर्व नवंबर 2020 को मेने विभाग द्वारा नियुक्त गांव मुखिया को आवेदन देकर सारी जानकारी उपलब्ध करवा दी थी। जिसके बाद समय समय पर मुखिया एवं विभाग की टीम द्वारा दो बार अफीम पट्टे की नपती भी की गई। वही मुखिया एवं विभाग के अधिकारीयों को लिखित में आवेदन देकर बताया गया था कि गांव निपानिया जो की एक विरान गांव है जहा पर कोई भी मकान नहीं है मकान नहीं होने की स्थिति में अफीम की कुंडी गांव रेवली देवली स्थित मेरे घर पर रखने को लेकर दिया गया। जबकि मेरे खिलाफ अज्ञात लोगों द्वारा विभिन्न समाचार पत्रों में झूठी खबरे प़काशित कर मुजे आर्थीक एवं मानसिक रूप से परैशान किया गया। जबकि मेरे द्वारा नारकोटिक्स विभाग के सभी नियमों का समय समय पर पालन किया गया। साथ हि अफीम की फसल को चीरा भी नहीं लगाया गया। जिसको लेकर मेरे द्वारा मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चोहान, नारकोटिक्स विभाग नीमच, एसपी कार्यालय नीमच, नारकोटिक्स विभाग ग्वालियर सहित अन्य जगह आवेदन देकर खडी फसल को जल्द नष्ट करने की मांग की ताकि आर्थीक एवं मानसिक परेशानी से बचा जा सके।
फसल की नगरानी 1200 रूपए प़तिदिन हो रहे खर्च:-
किसान दिनेश नागदा ने बताया कि परिवार में एक लडका एवं लडकी हैं। विभाग के निर्देश के बाद डोडो में चीरा नहीं लगाया। फसल खेत में खडी है ऐसे में चोरों एवं असामाजिक तत्वों से फसल को बचाने उसकी प़तिदिन सुरक्षा करनी पड रही हैं। 6 मजदूर 200 रूपए प़तिदिन के हिसाब से अफीम की सुरक्षा कर रहे हैं। जो 1200 रूपए प़तिदिन के हिसाब से करीब 20 दिन से अफीम की सुरक्षा में लगे हुए हैं। जिसके चलते करीब 24 हजार अफीम की सुरक्षा के साथ हि दवाई छिडकाव सहित लाखों रूपए का आर्थीक नुकसान हो रहा हैं।
निपानिया विरान राजस्व में एक मात्र कृषि भूमि:-
किसान ने बताया कि मेरी कृषि भूमि निपानिया विरान के अंतर्गत राजस्व भूमि में आती हैं। जो रेवली देवली स्थित राजस्व भूमि से मात्र 400 फीट की दूरी पर स्थित हैं। निपानिया गांव वर्षों पहले उजड गया, जहा पर वर्तमान में किसी भी प़कार का कोई मकान नहीं हैं। जो सिर्फ राजस्व रिकार्ड में दर्ज गांव हैं। फसल बोवनी से पहले उपनिरिक्षक प़ेमराज वर्मा से चर्चा की तो उन्होने बताया कि शपथ पत्र पर नोटरी कर तीनों किलों मीटर के अंतर्गत अफीम की फसल की बोवनी कर सकते हो। जिसके बाद मेरे द्वारा निपानिया विरान स्थित भूमि सर्वे नंबर 107 रकबा 1.020 मे से 0.05 आरी पर अफीम फसल की बोवनी की। बोवनी के बाद दो बार विभाग की टीम ने गांव मुखिया के साथ अफीम फसल की नपती की। बावजुद मेरी फसल को अवैध बताकर मुजे मानसिक एवं आर्थीक रूप से परेशान किया गया।
इनका कहना:-
मेरे द्वारा अफीम की बोवनी से पुर्व विभाग द्वारा नियुक्त मुखिया एवं विभाग के अधिकारीयों को सारी जानकारी लिखित में उपलब्ध करवा दी थी। बावजुद इसके मेरी झूठी शिकायते कर मुजे परैशान किया जा रहा हैं। जिसको लेकर मैं न्यायालय की शरण लूंगा।
-दिनेश नागदा-पीडित अफीम कास्तकार
-जब दिनेश द्वारा निपानिया विरान राजस्व भूमि पर अफीम की बोवनी की गई, उसकी जानकारी मुजे भी नहीं थी, जब शिकायत हुई तो विभाग की टीम के साथ अफीम पट्टे की नपती करवाई गई।
-लक्ष्मीनारायण नागदा-मुखिया