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बड़ों की आज्ञा बिना जीवन सार्थक सिद्ध नहीं होता है -विनोद मुनि महाराज

Neemuch Headlines November 26, 2020, 9:46 pm Technology

नीमच। बड़ों की कही बात को हम आदर पूर्वक ह्रदय से ग्रहण करें तभी वह आचरण में आ सकती है । बड़ों की आज्ञा बिना जीवन सार्थक सिद्ध नहीं होता है ।बड़ों की आज्ञा को समर्पण भाव से मानना चाहिए मन को अच्छा लगे वह बात अलग है लेकिन बड़ों ने कहा उसे शालीनता व तल्लीनता से उस कार्य को करें तो हमारा जीवन विशिष्ट उत्कृष्ट उत्तम बन सकता है ।यह बात विनोद मुनि महाराज ने कही। वे वीर पार्क रोड स्थित जैन स्थानक भवन में गुरुवार सुबह आयोजित धार्मिक मंगल संदेश कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि पाप का त्याग करना आवश्यक है। पाप के त्याग बिना आत्मा का कल्याण नहीं हो सकता है ।आशक्ति और ममता का जितना त्याग करें उतना ही जीवन में सुधार आता है। जमीकंद का त्याग करें तो हम पाप से बच सकते हैं। जिस प्रकार हम वस्तु दान करते समय उदार रहते हैं उसी प्रकार हम विचार प्रदान करते समय भी उदार रहे तो मन पवित्र हो सकता है जो वस्तु हम अपन लिए नहीं लेना चाहते हैं वह दूसरों के लिए स्वीकार नहीं करें। नेल पॉलिश और लिपस्टिक से जीव हत्या का पाप लगता है क्योंकि इनको बनाने से पहले जानवरों पर प्रयोग किया जाता है इसलिए जहां तक हो सके हम लिपस्टिक और नेल पॉलिश लगाने से बचें ।यदि मनुष्य संसार में लोकप्रिय बनना चाहता है तो वह पहले परिवार प्रिय बने तभी वह संसार में लोकप्रिय बन सकता है ।धर्म के प्रति पवित्र रुचि रखने वाले ही जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकते हैं। चातुर्मास प्रवचन स्वाध्याय परिवर्तन के माध्यम मात्र है। मन में वस्त्र आहार अभय स्थान औषधि ज्ञान व्यवहार क्षमा आदि दान करते समय उदारता होनी चाहिए तभी वह सार्थक सिद्ध होती है। हमने जो किया अच्छा किया हम जो करें अच्छा करें ऐसी शुभ भावना होनी चाहिए।

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