भोपाल। कोरोना वायरस शरीर के सभी अहम अंगों पर असर डाल रहा है। इसके प्रभाव से नसों (ब्लड वेसेल्स) में सूजन (इंफ्लेमेशन) और खून गाढ़ा होने से इसका थक्का जमना (थ्राम्बोसिस) और इक्का-दुक्का मामलों में फाइब्रोसिस यानी टिश्यू की संरचना में बदलाव के मामले भी सामने आ रहे हैं। कोरोना की वजह से मरने वाले मरीजों में 90 फीसद के फेफड़े और इतने ही मरीजों की किडनी पर गंभीर असर दिखाई दिया है। ऐसे 80 फीसद मरीजों में पाचन तंत्र से जुड़े अंग पैंक्रियाज पर और 60 फीसद के लिवर पर कोरोना वायरस का असर देखा गया है। एम्स भोपाल द्वारा कोरोना पीडि़त 10 मरीजों के शवों के पोस्टमार्टम (पीएम) में यह जानकारी सामने आई है।
शोध के उद्देश्य से देश में पहली बार कोरोना मरीजों के शवों का पोस्टमार्टम उनके स्वजन की सहमति से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), भोपाल में किया जा रहा है। अब तक कुल 21 (18 पुरुष और तीन महिलाएं) शवों का पोस्टमार्टम किया गया है। एम्स भोपाल के डायरेक्टर व देश के जाने-माने क्लीनिकल माइक्रोबायोलाजिस्ट प्रो. (डाक्टर) सरमन सिंह के मार्गदर्शन में यह अध्ययन किया जा रहा है। 10 शवों के पोस्टमार्टम के बाद उनके अंगों की माइक्रोबायोलाजिकल व पैथोलाजिकल जांच की शुरुआती रिपोर्ट में उक्त अहम जानकारियां सामने आई हैं। शोध में मस्तिष्क (ब्रेन), पैंक्रियाज, किडनी, फेफड़े, लिवर व हृदय में कोरोना वायरस का आरएनए (राइबोन्यूक्लिक एसिड) मिला है। इसका मतलब यह है कि वायरस इन अंगों तक पहुंच गया था। डॉ. सिंह ने बताया कि 25 फीसद मरीजों की किडनी में वायरस की मौजूदगी के प्रमाण मिले हैं। शोध के पहले यह नहीं सोचा गया था कि पैंक्रियाज और किडनी पर बीमारी का इतना ज्यादा असर दिखेगा। देश में पहली बार हुए इस तरह के शोध में वैज्ञानिक तरीके से साबित हो गया है कि कोरोना वायरस गले व फेफड़े के अलावा दूसरे अहम अंगों तक पहुंच रहा है। इसके असर से इन अंगों को क्षति हो रही है।
धीरे-धीरे ठीक हो जाते हैं अंग :-
गांधी मेडिकल कालेज भोपाल से संबद्ध हमीदिया अस्पताल के छाती व श्वास रोग विभाग के अध्यक्ष डा. लोकेंद्र दवे ने बताया कि हमीदिया में दो फीसद मरीजों के लिवर, पैंक्रियाज में सूजन, करीब चार फीसद में दिल की तकलीफ और दो से तीन फीसद में ब्रेन में खून का थक्का जमने की समस्या मिल रही है। हालांकि, कोरोना का संक्रमण खत्म होने के बाद ज्यादातर के सभी अंग सामान्य हो जाते हैं।शोध से यह होगा फायदामरीज के इलाज के दौरान उन अंगों से जुड़ी पैथोलाजिकल, माइक्रो बायोलाजिकल और रेडियोलाजिकल जांचें कराई जाएंगी, जिनमें कोरोना का असर इस अध्ययन में देखा गया है। इससे मरीज को गंभीर हालत में पहुंचने से बचाया जा सकेगा।
विशेषज्ञ की राय :-
गांधी मेडिकल कालेज भोपाल से संबद्ध हमीदिया अस्पताल के छाती व श्वास रोग विभाग के सह प्राध्यापक डॉ. पराग शर्मा ने बताया कि खून के जरिये वायरस शरीर के दूसरे अंगों तक पहुंचता है। जरूरी नहीं कि वायरस पहुंचने से उस अंग को नुकसान हो ही। यह वायरस की संख्या और उस व्यक्ति के प्रतिरक्षा तंत्र पर निर्भर करता है। कोरोना संक्रमण के दौरान आइएल-6 नामक साइटोकाइन (प्रोटीन) ज्यादा निकलता है। इससे नसों में सूजन, खून का थक्का जमने लगता है। गंभीर मरीजों की आइएल-6 की जांच जरूर करानी चाहिए।