रूस द्वारा विकसित की गई वैक्सीन 'स्पूतनिक-वी' के पंजीकरण के बाद का परीक्षण करने की अनुमति सरकार द्वारा मिल गई है। रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से दी गई एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये परीक्षण मॉस्को में कई राज्य संचालित चिकित्सा संस्थानों में किए जाएंगे। यह ट्रायल कुल 40,000 स्वयंसेवकों पर किया जाएगा, जिसमें भाग लेने वाले सभी लोग 18 साल और उससे ऊपर के होंगे। आपको बता दें कि इस वैक्सीन को रूस के गमलेया इंस्टीट्यूट ने विकसित किया है और आधिकारिक तौर पर इसका पंजीकरण 11 अगस्त को किया गया था।
आइए जानते हैं इस वैक्सीन के बारे में ताजा अपडेट्स क्या हैं।
गमलेया रिसर्च सेंटर के निदेशक अलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग ने संकेत दिया है कि अगले महीने यानी सितंबर में 15-20 तारीख के बीच बड़े पैमाने पर देश में टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने बताया कि अभी वैक्सीन के दो बैचों को विकसित किया गया है, जिसकी पहले जांच की जाएगी और यह जांच संभवत: 15-20 सितंबर के बीच पूरी हो जाएगी। रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआईएफ) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी किरिल दिमित्रेव का कहना है कि 'स्पूतनिक-वी' वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल अभी नहीं किया गया है। हालांकि, रूसी अधिकारियों ने दावा किया था कि वैक्सीन सभी आवश्यक जांचों से गुजर चुका था और 'सुरक्षित और प्रभावी' साबित हुआ था। किरिल दिमित्रेव ने भी दावा किया है कि उनके माता-पिता को भी टीका लगाया गया था और उनमें कोई भी साइड-इफेक्ट्स नहीं दिखे हैं।
हालांकि कई देशों ने इस दावे पर शक जताया है और दावा किया है कि इसके साइड-इफेक्ट्स देखने को मिले हैं। 'स्पूतनिक-वी' वैक्सीन के उत्पादन के लिए रूस ने भारत से भी सहयोग मांगा है। हाल ही में किरिल दिमित्रेव ने कहा था कि दुनिया के कई देश वैक्सीन की मांग कर रहे हैं और उन सबकी मांगें पूरी करने के लिए बड़े पैमाने पर वैक्सीन के उत्पादन की जरूरत पड़ेगी। उनके मुताबिक, भारत के पास बड़ी मात्रा में वैक्सीन के उत्पादन की क्षमता है। इसलिए इसके लिए भारत के ड्रग मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी से संपर्क किया जाएगा।
रूस ने दूसरी वैक्सीन भी तैयार कर ली है:- हाल ही में यह खबर आई थी कि रूस ने कोरोना की दूसरी वैक्सीन भी तैयार कर ली है, जिसे 'एपीवैककोरोना' (EpiVacCorona) नाम दिया गया है। इसे रूस की वेक्टर स्टेट रिसर्च सेंटर ऑफ वायरोलॉजी एंड बायोटेक्नोलॉजी ने विकसित किया है। दावा किया जा रहा है कि यह 'स्पूतनिक-वी' वैक्सीन से बेहतर है, क्योंकि इसके कोई भी साइड-इफेक्ट्स नहीं हैं। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इस नई वैक्सीन का ट्रायल सितंबर में पूरा हो जाएगा और अक्तूबर तक इसे पंजीकृत कर लिया जाएगा। वहीं, नवंबर से इस वैक्सीन का उत्पादन भी शुरू हो जाएगा।