नीमच। चातुर्मास धर्म और आत्मा को पवित्र करने का शुभ अवसर है। धर्म कर्म के पुण्य से पाप अशुभ कर्म घटता है। जहां धर्म प्रभावना होती है वहां महामारी का भय भी नहीं लगता है।जन्म के बाद मृत्यु भी निश्चित है। इसलिए जीवन में समय रहते तप आराधना भक्ति का पुण्य कर्म कर लेना चाहिए क्योंकि धर्म कर्म करने वाला महामारी में भी सरलता से बच जायेगा।यह बात संयमरत्न विजयजी महाराज ने कही। वे श्री जैन श्वेताम्बर महावीर जिनालय टंस्ट विकास नगर द्वारा बुधवार सुबह 8 बजे विकास नगर स्थित आराधना भवन में आयोजित चातुर्मास प्रवेश धर्म सभा में बोल रहे थे।
मुनिश्री ने कहा कि जीवन में परिवर्तन आयेगा उसी का चातुर्मास समय सार्थक होगा। प्रभु भजन जो करता है वही सुखी रहता है। समय की घड़ी सदा अच्छी नहीं रहती है,कभी बिगड़ती भी है। राम की घड़ी बिगड़ी तो वनवास हुआ। कब विपदा आ जाए पता नहीं चलता है किसी का सोचा कभी नहीं होता। किसी ने सोचा था कि कोरोना आयेगा। चलचित्र में सामूहिक पाप कर्म बंधता है तो सामूहिक कर्म फल भी मिलता है। पग-पग पर डर मार देता है, लेकिन धर्म हो तो भय नहीं लगता है जहां धर्म प्रभावना होती है वहां किसी प्रकार का भय नहीं रहता है। संसार में एक तरफ दुःख,एक तरफ सुख होता है। मौत की घड़ी आती वह कभी रुक नहीं सकती है। फूल खिला है तो मुर्झाएगा भी। जब तन में न आधि,न मन में व्याधि न जीवन में उपाधि हो तभी समाधि आ सकती है।
धार्मिक चातुर्मास से अज्ञान का अंधेरा मिटता है। विकास नगर में विकास होगा,हम स्वयं भी आगे बढें और दूसरों का भी विकास करें। सभी संयम का पालन करें। 1 जुलाई है,एक साथ रहना है। एक साथ रहना,एक साथ आराधना करना है।जिसने एक को जान लिया उसने सब को जान लिया।एक और एक ग्यारह तब बनेंगे जब बीच में सम्प्रदाय रूपी प्लस-माइनस न हो। महावीर का संदेश जिओ और जीने दो,लेकिन हमने जिमो और जिमने दो बना दिया।भावना पवित्र होना चाहिए।हमें साथ मिलकर रहना है।जब हम दूसरों के नुकसान की सोचेंगे तो दूसरे का थोड़ा जायेगा,हमारा सब चला जायेगा।सच्चे दिल की भावना होती है तो वह सार्थक होती है। म.प्र. में स्वतंत्र रूप से प्रथम चातुर्मास है। संतों को संत सामग्री की आवश्यकता नहीं रहती है,पूरे चातुर्मास में संत कोई भी सामग्री ग्रहण नहीं करते हैं!
काम्बली नहीं वह संतों का सम्मान और सम्बल है। उन्होंने घड़ी-घड़ी घड़ी देखो, पल-पल घड़ी पलटती है। घड़ी-घड़ी उम्र ढलती है,जिंदादिली में बुढापे में भी जवानी रहती है... गीत प्रस्तुत किया। मुनि पवित्ररत्न महाराज ने कहा कि चातुर्मास प्रवेश आनंद और तपस्या का अवसर है। मानव से आठ महीनों तक पाप के बंध हो जाते हैं,उनका पश्चाताप,तप भक्ति से करना चाहिए।सद्गुरू का योग मिले तो चातुर्मास में गुरु की प्रेरणा मार्गदर्शन पर आगे बढना चाहिए।देव गुरु की शरण में सुख है।लोग संसार धन की शरण में जाते हैं तो दुःखी हो जाते हैं।जीवन में जो करते हैं वही याद आता है। गुरु घूमाने छुड़ाने बचाने का कार्य करता है। गुरु व्यक्ति का टीवी,धन,निद्रा को गुणों में घुमाने का कार्य करते हैं।
गुरु मिले बिना बंधन नहीं छूटता है।परमात्मा के भक्त हैं उन्हें कोरोना से डरना नहीं है। उन्होंने मेरे जीवन का जब अंत हो मेरे सामने संत हो महावीर का पंथ हो.... गीत प्रस्तुत किया। टंस्ट संरक्षक प्रेमप्रकाश जैन ने कहा कि सभी श्रद्धालु सामाजिक दूरी का ध्यान रखें। मुनि संयमरत्न विजय साउथ से सीधे नीमच पधारे हैं,कोरोना काल में ऐतिहासिक चातुर्मास अनुशासन के साथ सम्पन्न होगा। संतों के बताए मार्ग पर सभी आगे बढेंगे। महेन्द्र चैधरी गुड्डु ने कहा कि इस बार चातुर्मास अधिक मास होने से पांच माह का होगा। चातुर्मास भाग्य से स्वीकृत हुआ है। टंस्ट मण्डल ने जो अवसर दिया वह आदर्श प्रेरणादायी है। श्रीमती वंदना आंचलिया जैन ने कहा कि गतवर्ष भी बहुत प्रयास किया।भरतपुर में विनती की गई। मन में धर्म का बीज तथा पौधा लग गया है।अब फल लगना बाकी है। हम सभी को ध्यान,तप, त्याग से फल लगाने हैं। मुनि संयमरत्न विजय जी की ध्यान में गहरी रूचि है।
सभी मिलकर धर्म तपस्या में कीर्तिमान बनाएं। उन्होंने सत्गुरु में तेरी पतंग.. हवा बीच उड़ती जावांगी,सांइया डोर हत्थो छड्डी ना मैं कट जावांगी...गीत गायन किया। महावीर महिला मण्डल की शकुंतला गोपावत एवं सदस्याओं ने अजी संत पधारे हैं भाग्य हमारे हैं अजी ये हीरे हैं,जहान के गुरुजी पधारे हैं,भाग्य हमारे हैं.... अगवानी भक्ति भजन प्रस्तुत किया।महावीर जिनालय टंस्ट विकास नगर अध्यक्ष राकेश आंचलिया जैन,प्रेमप्रकाश जैन, महेन्द्र चैधरी गुड्डु,सचिव राजेन्द्र बम्बोरिया आदि उपस्थित थे। महावीर जिनालय आराधना भवन में रंग बिरंगी इन्द्रधनुषी फर्रियां उगते सूरज की तरह छत पर सजाया गया जो सभी के आकर्षण का केन्द्र बना। महावीर मंदिर पर फूलों से प्रवेश द्वार भी श्रृंगारित किया गया। सभी श्रद्धालुओं ने मास्क लगाकर सामाजिक दूरी के साथ सहभागिता निभाई।जिसमें श्रद्धालुओं ने अपार उत्साह के साथ बढ चढकर भाग लिया। विमलादेवी सिरोहिया निम्बाहेड़ा ने गुणों का अभिनंदन ही..... ओ आत्मीय गुणों की रत्नाकर गुरूवर आपका स्वागत है.... गुरूदर्षन का सौभाग्य मिला.... गीत प्रस्तुत किया। राकेश चिराग आंचलिया ने काम्बली ओढाने का धर्मलाभ लिया। गुरूदेव श्री भुवनरत्न विजयजी की निरंतर 5 वीं वर्षीतप की अनुमोदना की गई।
4 जुलाई से प्रतिदिन सुबह 6 बजे भक्तामर के जाप भी आयोजित होंगे। मुनि श्री संयमरत्न विजय जी के सांसारिक पिता नंदलाल चैरड़िया-निम्बाहेड़ा का मोती, माला,शॉल से सम्मान किया गया। महेन्द्र चैधरी गुड्डु की ओर से सभी उपस्थित श्रद्धालुओं को मास्क का वितरण प्रभावना के रूप में किया गया।