इंदौर (Indore) जिसे देशभर में स्वाद और शुद्ध खानपान के लिए पहचाना जाता है, वहीं अब मिलावटखोरी के गंभीर मामलों ने चिंता बढ़ा दी है। शहर में एक बार फिर यह साबित हो गया कि मुनाफे की भूख में कुछ कारोबारी आम लोगों की सेहत से समझौता करने से भी नहीं चूकते। ताजा मामला असली घी के नाम पर वनस्पति बेचने का है। जांच रिपोर्ट ने न केवल प्रशासन को चौंकाया है,
बल्कि आम उपभोक्ताओं के भरोसे को भी गहरी चोट पहुंचाई है। असली घी की आड़ में बिक रहा था वनस्पति खाद्य सुरक्षा विभाग की कार्रवाई में पालदा स्थित श्री राम मिल्क फूड डेरी इंडस्ट्रीज से विभिन्न ब्रांड और पैकिंग में रखे घी के 10 नमूने लिए गए थे। जांच के बाद जो रिपोर्ट सामने आई, वह बेहद गंभीर है। इन 10 सैंपलों में से 7 सैंपल फेल पाए गए हैं। जांच में स्पष्ट हुआ कि इन घी के पैकेट्स में बड़ी मात्रा में वनस्पति मिलाया गया था। यह न केवल खाद्य सुरक्षा मानकों का उल्लंघन है, बल्कि सीधे तौर पर उपभोक्ताओं की सेहत से खिलवाड़ भी है। मॉडर्न पेंटाथलॉन वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत की बड़ी जीत, इंदौर की भूमि अग्रवाल ने जीते चार मेडल किसकी है फैक्ट्री? लंबे समय से चल रहा खेल जांच में सामने आया है कि यह फर्म नरेंद्र कुमार गुप्ता के नाम से संचालित है। जानकारी के मुताबिक यह कोई पहली बार नहीं है जब इस यूनिट पर सवाल उठे हों। हमारे पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार, लंबे समय से यहां घी के नाम पर मिलावटी उत्पाद तैयार कर बाजार में सप्लाई किए जा रहे थे। नामी ब्रांड जैसी पैकिंग और लेबलिंग के जरिए आम ग्राहक को धोखे में रखा जा रहा था। 700-800 रुपये किलो में बिक रहा था नकली घी सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह मिलावटी घी 700 से 800 रुपये प्रति किलो की कीमत पर बाजार में बेचा जा रहा था।
विशेषज्ञों के अनुसार, वनस्पति को हाइड्रोजन प्रक्रिया से तैयार किया जाता है। यही कारण है कि यह करीब 40 डिग्री सेल्सियस तापमान तक पिघलता नहीं है। देखने में यह बिल्कुल असली घी जैसा लगता है, जिससे आम उपभोक्ता फर्क नहीं कर पाता। इसी कमजोरी का फायदा उठाकर मिलावटखोर मोटी कमाई कर रहे थे। वनस्पति क्यों है सेहत के लिए खतरनाक? खाद्य विशेषज्ञों के मुताबिक वनस्पति में ट्रांस फैट की मात्रा बेहद अधिक होती है। यह ट्रांस फैट धीरे-धीरे शरीर में जमा होकर गंभीर बीमारियों को जन्म देता है। नियमित रूप से वनस्पति युक्त घी का सेवन करने से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ता है, कोलेस्ट्रॉल तेजी से बढ़ता है, मोटापा और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होती है लंबे समय में डायबिटीज का खतरा भी बढ़ जाता है। यही वजह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन भी ट्रांस फैट के सेवन को सीमित करने की सलाह देता है।
बच्चों और बुजुर्गों पर ज्यादा असर मिलावटी घी का सबसे ज्यादा असर बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ता है। बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए शुद्ध वसा बेहद जरूरी होती है, लेकिन जब उसी वसा में जहर मिला हो, तो उसका असर लंबे समय तक दिखाई देता है। बुजुर्गों में यह दिल और ब्लड प्रेशर से जुड़ी समस्याओं को और गंभीर बना सकता है।