नीमच । संविधान दिवस पर ज्ञानमंदिर विधि महाविद्यालय नीमच विधि के शासन संविधान की सर्वोच्चता का महत्व विषय पर परिचर्चा एवं व्याख्यान आयोजित किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती एवं डॉ.भीमराव आंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। स्वागत भाषण देते हुए प्राचार्य डॉ. विवेक नागर ने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने प्रो. डायसी के ‘विधि के शासन’ के सिद्धांत को संविधान के अनुच्छेद 14 में समाहित किया है, जो संविधान की सर्वोच्चता को स्थापित करता है। परिचर्चा में जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री प्रवीण कुमार ने भाग लेते हुए कहा कि संविधान के नीति निर्देशक तत्वों के अनुच्छेद 39 (A) में पीड़ित एवं कमजोर वर्गों को निःशुल्क विधिक सहायता का विशेष प्रावधान किया गया है। उन्होने विधि विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे विधियों का गहन अध्ययन कर भविष्य में योग्य अधिवक्ता या न्यायाधीश बनकर समाज को न्याय उपलब्ध कराने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें।
प्रबंध समिति के सचिव राजेश मानव ने सभी को संविधान दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि नीमच के लिए यह गर्व का विषय है कि सीताराम जाजू संविधान सभा के सदस्य रहे। उन्होंने कहा कि अधिवक्ताओं तथा विधि विद्यार्थियों का भी दायित्व है कि वे सदैव विधिक सहायता प्रदान करने के लिए तत्पर रहें। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रबंध समिति के सदस्य श्री अख्तर अली शाह ने कहा कि संविधान लोकतंत्र का आईना है , जिसके माध्यम से शासन की तीनों इकाइयाँ नियंत्रित रहती हैं और राष्ट्र के सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त होता है। इस अवसर पर “विधि के शासन में संविधान की सर्वोच्चता का महत्व” विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई।जिसमें विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। परिचर्चा में विद्यार्थी हिमांशी बंसल, संजना नागदा, रणधीर सिंह गहलोत, सानू, काजल बैरागी, भावना शर्मा, मोहम्मद साबिर, तनीषा मंसूरी आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. वर्षा काछवाल ने किया। इस मौके पर सहायक प्राध्यापक सुश्री कृतिका द्विवेदी, श्रीमती कीर्ति कौशिक, घनश्याम भटनागर, प्रवीण पाटीदार सहित समस्त स्टाफ सदस्य एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।