“ छिंदवाड़ा में जहरीले कफ सिरप से मासूम बच्चों की मौत के बाद नए-नए खुलासे हो रहे हैं। उमंग सिंघार ने कहा कि एक दवा कंपनी इंदौर में फंगस वाले पानी से कफ सिरप बना रही थी। यह सिरप गंदे प्लास्टिक डिब्बों में रखा जाता था और बदबूदार कपड़ों से छाना जा रहा था। उन्होंने कहा कि इस तरह प्रदेश के मासूम बच्चों को दवा के नाम पर जहर परोसा जा रहा था। इसी के साथ उन्होंने मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से कहा कि 19 बच्चों की मौत के बाद भी सरकार बेखबर है और चौंकाने वाली बात यह है कि अभी भी 8,588 जहरीली कफ सिरप की बोतलें अब भी बाजार में मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि इन दोनों तथ्यों से साफ समझ आता है कि सरकार कितनी लापरवाह है। उमंग सिंघार ने लगाए गंभीर आरोप उमंग सिंघार ने कहा है कि दवा कंपनियों पर चल रही जांच में ऐसा सच सामने आया है जिसने स्वास्थ्य सुरक्षा की बड़ी पोल खोल दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि एक दवा कंपनी फंगसयुक्त पानी से कफ सिरप बना रही थी। यह सिरप गंदे प्लास्टिक के डिब्बों में रखा जाता था और बदबूदार कपड़ों से छानकर बच्चों को ज़हर की तरह परोसा जा रहा था। सिंघार ने सरकार की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि इतने बड़े हादसे के बाद भी सरकार की कार्रवाई न तो तेज है और न ही त्वरित। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) के निर्देश पर केंद्र और राज्य की टीमें कंपनी का रिस्क-बेस्ड निरीक्षण कर रही हैं, लेकिन सवाल यह है कि सरकार हर बार हादसे के बाद ही क्यों जागती है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि ये जानकारी भी मिली है कि जिस कफ सिरप से इतने मासूमों की जान गई उनकी 8588 बोतलें अब भी बाज़ार में मौजूद है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति सरकार की लापरवाही और स्वास्थ्य तंत्र की विफलता को उजागर करती है। उमंग सिंघार ने कहा कि अगर दवा बनाने वाली कंपनियों की नियमित जांच होती तो आज प्रदेश को इतना बड़ा हादसा नहीं झेलना पड़ता। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश के 19 मासूम बच्चों की जान भ्रष्ट अधिकारियों, दवा कंपनियों की मिलीभगत और सोई हुई सरकार के साथ-साथ फेल स्वास्थ्य तंत्र के कारण गई है।