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सीएम डॉ. मोहन यादव ने मेलियोइडोसिस रोग की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य व कृषि विभागों को दिए निर्देश, एम्स की रिपोर्ट में 20 जिलों में मरीजों की पुष्टि

Neemuch headlines September 19, 2025, 5:07 pm Technology

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश में मेलियोइडोसिस रोग की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य और कृषि विभागों को संयुक्त रूप से कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। यह कदम हाल ही में एम्स भोपाल द्वारा जारी रिपोर्ट के बाद उठाया गया है, जिसमें प्रदेश के 20 से अधिक जिलों में इस घातक बैक्टीरियल संक्रमण के मामलों की पुष्टि हुई है।

इस बीमारी के लक्षण टीबी से मिलते-जुलते हैं और ये धान के खेतों की संक्रमित मिट्टी में पाए जाने वाले बैक्टीरिया के कारण फैलता है। मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिव स्वास्थ्य को कृषि विभाग के साथ मिलकर इस रोग की जांच और रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने दिए रोग की रोकथाम के लिए निर्देश मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने टीबी जैसे लक्षणों वाले घातक रोग मेलियोइडोसिस के संबंध में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य को, कृषि विभाग के साथ मिलकर जांच और उसकी रोकथाम के लिए आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिये हैं। एम्स भोपाल की 16 सितंबर की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश के 20 से अधिक जिलों में मेलियोइडोसिस से प्रभावित मरीजों की पुष्टि हुई है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में धान की खेती का बढ़ता क्षेत्रफल और पानी के स्रोतों की प्रचुरता इस रोग के लिए अनुकूल हालात पैदा कर रह हैं। इस स्थिति को देखते हुए एम्स भोपाल ने जागरूकता, समय पर निदान और उपचार के लिए प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए हैं जिनमें प्रदेश के चिकित्सा महाविद्यालयों और अस्पतालों ने हिस्सा लिया है। मेलियोइडोसिस: गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण मेलियोइडोसिस को ‘व्हिटमोर रोग’ के नाम से भी जाना जाता है। ये एक दुर्लभ लेकिन गंभीर बैक्टीरियल रोग है जो Burkholderia pseudomallei नामक बैक्टीरिया से होता है। यह बैक्टीरिया मुख्य रूप से संक्रमित मिट्टी और पानी में पाया जाता है और इंसान में त्वचा, फेफड़े, रक्त, लीवर, मस्तिष्क और अन्य अंगों को प्रभावित कर सकता है।

इस रोग के सामान्य लक्षणों में बुखार, खांसी, सीने में दर्द, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पेट में दर्द और कभी-कभी दिमागी संक्रमण भी हो सकता है। यह बीमारी खासतौर से उन लोगों में अधिक खतरनाक होता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है।

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