भोपाल। राजधानी भोपाल में बारिश का दौर थमने के बाद अब सडकों के गड्डे जानलेवा साबित हो रहे है। राजधानी की वीआईपी इलाकों को छोड़कर अन्य सड़कों में गड्डे इन सड़कों से गुजरने वाले लाखों लोगों को मौत की दावत दे रहे है। राजधानी के नए बने सबसे लंबे ओवर ब्रिज अंबेडकर ओवर ब्रिज के गणेश मंदिर के पास की सर्विस रोड पर बारिश के चलते पूरी तरह धंस गई और वह एक बड़े हादसे को दावत दे रही है।
इसी तरह राजधानी के सबसे व्यस्त इलाके में एमपी नगर मे जो सड़क नाला धंसने के बाद बैठ गई थी उस पर अभी भी काम नहीं शुरु हो सका है। धंसी सड़क के चारो ओर बैरिकेड्स कर ट्रैफिक को डायवर्ट किया गया है। फेस्टिव सीजन में लोगों की भीड़ और पीक ऑवर्स में इस सड़क पर जाम लगना अब रोज की समस्या हो गई है। राजधानी में सडकों के रखरखाव के जिम्मेदार पीडब्ल्यूडी विभाग भले ही लोकपथ एप पर जिले की कुछ सड़कों को डालकर व उनसे जुड़ी कुछ शिकायतों का निराकरण खुद की पीठ थपथपा रहा है, लेकिन करीब 200 सड़कें अब भी एप से बाहर और बदहाल है। विभाग महज दस फीसदी सड़कों के खराब होने की बात कह रहा है, लेकिन जमीन पर स्थिति ये है कि राजधानी की कई सड़कें जर्जर और खराब हालत है। विभाग के मंत्री राकेश सिंह भले ही दावा करते हो कि लोकपथ एप पर खराब सड़क की फोटो डालने के 7 दिन के अंदर उस गड्डे को भर दिया जाता हो लेकिन राजधानी की सड़कों को देखकर हकीकत कुछ और बयां होती है। सूबे का पीडल्यूडी विभाग अपनी विभिन्न समीक्षा बैठक में लोकपथ एप की सफलता का बखान करते हुए शिकायतों का त्वरित निवारण दिखा रहा है, लेकिन सड़कों की बदहाली की तस्वीर राजधानी में बैठे विभाग के आला अधिकारियों को नहीं दिखाई दे रही है। वहीं विभाग के मंत्री राकेश सिंह का यह बयान कि जब तक सड़कें रहेंगी, गड्डे रहेंगे उनकी विभाग और सड़कों को लेकर जिम्मेदारी का बखूबी अहसास कराती है। सामाजिक कार्यकर्ता उमाशंकर तिवारी कहते हैं कि राजधानी में सड़कों के निर्माण और रखरखाव से जुड़ी विभिन्न एंजेसिंया हर साल सड़कों के निर्माण और मेंटनेंस पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है लेकिन सड़कों पर गड्ढे होने से जहां इन पर चलना मुश्किल है वहीं यह गड्ड़े जानलेवा साबित हो रहे है। व कहते हैं कि हेलमेट नहीं लगाने, नो पार्किंग में गाड़ी खडी करने, रोड टैक्स नहीं भरने पर आम लोगों के खिलाफ फौरी कार्यवाही हो जाती है ।
जबकि सड़क के गड्ढों के कारण सभी वाहनों में मेंटेनेंस बढ़ जाता है, टूटी सड़कों के कारण लोग हादसों का शिकार हो रहे है लेकिन इसकी परवाह किसी को नहीं है। यह हाल तब है कि जब राजधानी में हर वीवीआईपी मूवमेंट के समय सड़कों की मरम्मत के नाम पर कुछ चुनिदां सड़कों का ही बार-बार मेटनेंस किया जाता है, बाकी राजधानी की सड़कें बदहाल हालत में है।