भोपाल। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के सुदूर जनजातीय अंचल से निकलकर जिले की एक बेटी ने नीट की परीक्षा उत्तीर्ण कर इतिहास रच दिया है। सीमित संसाधनों, कठिन परिस्थितियों और सामाजिक चुनौतियों को पीछे छोड़ते हुए कुमारी शांति पचलिया ने यह साबित कर दिया कि "अगर इरादा मजबूत हो, सपने सिर्फ देखे नहीं, पूरे भी किए जा सकते हैं।" विशेष पिछड़ी जनजाति भारिया से ताल्लुक रखने वाली छात्रा कु. शांति, छिंदवाड़ा जिले की पहली छात्रा बन गई हैं जिसने नीट की परीक्षा में सफलता प्राप्त की है। इस उपलब्धि ने न सिर्फ उनके परिवार, गाँव और समुदाय को गौरवान्वित किया है, बल्कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले हजारों विद्यार्थियों को एक नई प्रेरणा भी दी है। शांति का जन्म 23 अप्रैल 2007 को विकासखण्ड हर्रई के ग्राम बालूसार में हुआ। उनके पिता श्री लिट्टी पचलिया कृषक हैं और माता श्रीमती लता पचलिया गृहिणी हैं। शांति ने अपर्न प्रारंभिक पढ़ाई शासकीय विद्यालयों से की और वर्तमान में आदिवासी उत्कृष्ट छात्रावास हर्रई में निवास करती हैं।
पढ़ाई के लिए उन्होंने रोजाना 4 से 5 घंटे तक कड़ी मेहनत की और नीट 2025 परीक्षा में सफल हुईं। आर्थिक और सामाजिक रूप से सीमित संसाधनों के बावजूद शांति का सपना था डॉक्टर बनकर अपने गाँव की सेवा करना। उनका कहना है कि मैं अपने गाँव को आगे बढ़ाना चाहती हूँ और सबकी मदद करना चाहती हूँ। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा जनजातीय संवर्ग के विद्याथियों को उच्च और तकनीकी शिक्षा के लिये निःशुल्क शिक्षा के लिये बनाई गई शैक्षणिक योजनाओं की सहुलियतों ने शैक्षणिक क्रांति का बीजारोपण किया है। सरकार ने जुलाई 2024 से सभी शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूलों में नीट और जेईई की तैयारी के लिए एक अतिरिक्त पीरियड की व्यवस्था शुरू करवाई। इसके साथ ही इंदौर की नामचीन कोचिंग संस्था की मदद से कार्यशालाएँ, निशुल्क नोट्स, हिंदी-अंग्रेज में अध्ययन सामग्री और ऑनलाइन कोचिंग उपलब्ध कराई गई। शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया, छात्रों की कठिनाइयों को समय-समय पर दूर किया गया।
नीट 2025 परीक्षा में छिंदवाड़ा के लगभग 1400 विद्यार्थी शामिल हुए थे, जिनमें से 80 से ज्यादा विद्यार्थियों ने सफलता प्राप्त की, इनमें से क आदिवासी विकासखंडों के छात्र-छात्राएँ भी शामिल हैं। कलेक्टर सिंह ने नीट 2025 में चयनित शांति सहित सभी विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा है कि, "सरकारी स्कूलों के बच्चों में असीम क्षमता है, उन्हें सिर्फ दिशा, संसाधन और निरंतर प्रेरणा की ज़रूरत होती है।
शांति जैसी बेटियाँ मुख्यमंत्री डॉ. यादव और राज्य शासन के प्रयासों को सार्थक बना रही हैं।"