जनजातीय समाज सदियों से राम और शिव को पूजने वाला हमारा अपना समाज है।

Neemuch headlines March 25, 2025, 4:52 pm Technology

नीमच। शबरी भीलन राम की परम भक्त थीं । महाराणा प्रताप को युद्ध जिताने वाले राणा पूंजा श्रीनाथजी के भक्त थे। हिंदवी साम्राज्य की स्थापना के महानायक शिवाजी ककी सेना को औरंगजेब के विरुद्ध युद्ध जिताने वाले महादेव कोली जनजाति शिव भक्त हैं। जनजातीय समाज के क्रांतिकारियों और वीर सेनानियों का इतिहास लिखने वाले शेर नहीं गीदड़ थे। इसलिए उन्होंने आजादी की इन जनजातीय सेनानियों को अपने इतिहास लेखन में स्थान ही नहीं दिया और इन्हें गुमनाम रखा । शेरों का इतिहास शेर ही लिख सकते हैं गीदड़ कैसे लिखेंगे। उक्त उद्गार पी एम कालेज आफ एक्सीलेंस कालेज नीमच में जनजातीय गौरव विषय पर प्रमुख वक्ता के रूप में बोलते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नीमच जिला प्रचारक अनिल गिनावा ने व्यक्त किए ।

इस अवसर पर महाविद्यालय प्राचार्य ने अपने स्वागत उद्बोधन मैं जनजाति नायक तिलकामांझी के जीवन एवं कार्य पर विस्तृत प्रकाश डालते के जीवन देव कायापर प्रकाश डालते का महत्वपूर्ण भूमिका रही। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में जनभागीदारी प्रबंधन समिति के अध्यक्ष विश्व देव शर्मा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सीरत बदलनी चाहिए व जनजातीय समाज के गुमनाम शहीदों व वीरों का, क्रांतिकारीयों का इतिहास में उचित स्थान और सम्मान मिलना चाहिए। आपने राम भक्त शबरी का आदर्श राम भक्ति का संस्मरण सबके सामने रखा विशेष अतिथि के रूप में जिला प्रबंधक गोपाल भूरिया ने जनजातीय नायको पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जनजाति गौरव दिवस मनाने की परंपरा कब और क्यों शुरू हुई? हम क्यों गौरव दिवस मनाते हैं इसे हमें जानना चाहिए। प्रोफेसर डॉ. संजय जोशी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि जनजातीय समाज हमारी ग्राम्य और नगरीय समाज ाज के समांतर व एक दूसरे की सहयोगी एवं पूरक व्यवस्था रही है ।

आपने जनजातीय समाज से हमारे विवाह और अन्य सामाजिक संबंधों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कृष्ण की पत्नी रूक्मिणी अरुणाचल प्रदेश के ईदुमीशबी जनजाति की थी, अर्जुन की पत्नी ऊलुपी. नागालैंड की नागा जनजाति की महिला थी और दिमासा प्रिसेंज हिडिंबा दिमाशा जनजाति की थी जिससे भीम ने विवाह किया था।। प्रोफेसर जोशी ने कहा कि आदिवासियों से हमारे सामाजिक सरोकार अर्वाचीन है। हमारी जीवन शैली और जीवन मूल्य आदिवासी समाज से ही आते हैं । आरण्यक समुदाय सदैव से ग्राम और नगरीय समुदायों का पोषक रहा है। वनस्पति, औषधि, बहुमूल्य खनिज संपदा, इमारती लकड़ी, फल, फूल हमें व्यवसासियों से ही प्राप्त होते हैं। हमारे ज्ञान प्रदान करने वाले केन्द्र गुरुकुल आचार्य और ऋषियों की रक्षा हमारे आदिवासी समाज के भाई बहनों ने ही की है। कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. बी.के. अंब, डॉ. सी.पी. पंवार, प्रो. अपर्णा रे, डॉ. जे.सी. आर्य, डॉ. नवीन सक्सेना, डॉ. आयरिश रामनानी डॉ. चंदा आंजना, प्रो. कमलेश कुमार पाटीदार, डॉ. चंचल जैन, डॉ. तरुण जोशी, प्रो. कंचन कन्नौजै एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. संजय जोशी ने किया एवं आभार प्रो. कल्याण सिंह वसुनिया ने माना।

Related Post