नीमच । श्री सीताराम जाजू शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय, नीमच में "डिजीटल कौशल, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और उद्यमिता के माध्यम से युवा सशक्तिकरण" विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार का भव्य आयोजन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।
सेमिनार का शुभारम्भ माँ सरस्वती के प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं संगीत विभाग द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुआ। उद्घाटन सत्र में विषय पर बीज वक्तव्य जोहन्सबर्गे (दक्षिण अफ्रीका) विश्वविद्यालय में सेवारत प्रो. कपिल गुप्ता ने ऑनलाईन मोड पर प्रस्तुत किया। डॉ. कपिल गुप्ता ने क्लास एम श्वाब की ए.आई. द्वारा जनित चौथी औद्योगिक क्रान्ति के बारे में विस्तार से बताया। डॉ गुप्ता ने जनरेटिव ए.आई., मशीन लर्निंग, जीपीटी. मॉडल, प्राम्प्ट इन्जिनियिंरंग, रिसर्च पेपर लिखने में में ए.आई. का उपयोग तथा ए.आई. के दुष्प्रभावों को रोकने हेतु नैतिक आचार संहिता आदि आयामों पर मुल विषय का विस्तार से प्रतिपादन किया। उद्घाटन सत्र में मंच पर जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष विजय बाफना, महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एन. के. डबकरा विषय विशेषज्ञ के रूप में द डेमोक्रेट्स आई.ए.एस. अकादमी, सेन्ट्रल इण्डिया के निदेशक डॉ. ऋषि दुबे, मन्दसौर विश्वविद्यालय के कम्प्यूटर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. निलेश जैन एवं मन्दसौर विश्वविद्यालय के ही प्रोफेसर बी.के. शर्मा, महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्य डॉ. मीना हरित, ज्ञानोदय विश्वविद्यालय घालय की उपकुलपति उपकुलपात डॉ. माधुरी चौरसिया एवं राष्ट्रीय सेमिनार की समन्वयक डॉ. हिना हरित उपस्थित थी।
उद्घाटन सत्र में अतिथियों का स्वागत करने के पश्चात् महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एन. के. डबकरा ने अपने उद्बोधन में कहा कि वर्तमान दौर में ए.आई. तकनीक, डिजिटल कौशल के क्षेत्र में रोजगार के नये अवसर उभर रहे हैं। जीवन के हर क्षेत्र में ए.आई. तकनीक की बातें हो रही है। अतः इस ज्वलन्त विषय पर चर्चा करना आज की महती आवश्यकता है। महाविद्यालय की जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष श्री विजय बाफना ने युवा केवल नौकरी के पीछे न पड़कर डिजिटल कौशल का विकास करके युवा वर्ग स्वरोजगार एवं ऑनलाईन कार्यों में सक्रियता दिखाये। समसामयिक विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित करने हेतु उन्होंने महाविद्यालय को बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित की। राष्ट्रीय सेमिनार की समन्वयक डॉ० हिना हरित ने सेमिनार की रूपरेखा प्रस्तुत की तथा सेमिनार के तीनों विषय ए.आई. तकनीक, डिजिटल कौशल एवं उद्यमिता को आज की जरूरत बताते हुए विषय के बारे में जानकारी दी। उद्घाटन सत्र के पश्चात् महाविद्यालय की लगभग 200 छात्राओं द्वारा लगाई गई मॉडल एवं पोस्टर की प्रदर्शनी का उद्घाटन विषय विशेषज्ञों के द्वारा कर अवलोकन किया गया। जिसमें सेमिनार की तीनों थीम पर आधारित मॉडल एवं पोस्टर की अलग-अलग श्रेणियों में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर विजेता की घोषणा की गई।
प्रथम तकनीकी सत्र में द डेमोक्रेट्स आई.ए.एस. अकादमी, सेन्ट्रल इण्डिया के निदेशक डॉ० ऋषि दुबे ने बताया कि भारत में 40 करोड़ युवा लोग अपने लिये रोजगार ढूंढ रहे हैं। इन युवाओं को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में नौकरी पाने के लिये नहीं वरन् देने के लिये डिजिटल कौशल का उपयोग करते हुए स्वरोजगार के क्षेत्र में जाना चाहिए। आज बिना किसी कौशल के किसी भी क्षेत्र में रोजगार मिलना असंभव है। युवाओं में डिजिटल कौशल को बढ़ाने के लिये सरकार ने अनेक योजनाएं भी चला रखी है। ज्ञान, इच्छा एवं क्रिया में समन्वय से सफलता अवश्य मिलती है। द्वितीय तकनीकी सत्र में मन्दसौर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. बी.के. शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि वर्तमान समय में प्रत्येक व्यक्ति को डिजिटल कौशल एवं ए.आई. तकनीक से अवगत होना जरूरी है। ए.आई. तकनीक से शिक्षा, स्वास्थ्य एवं व्यवसाय के क्षेत्र में हमें बहुत लाभ मिल रहा है लेकिन ए.आई. तकनीक के उपयोग में नैतिक नियमों का ज्ञान रखना मानवीयता के लिये अत्यन्त आवश्यक है। डॉ. शर्मा ने छात्राओं द्वारा निर्मित विभिन्न तकनीकों पर आधारित मॉडल एवं पोस्टरों की अत्यन्त सराहना की। मन्दसौर विश्वविद्यालय के कम्प्यूटर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. निलेश जैन प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए रते हुए कहा कि कोविड-19 के समय से ही डिजिटल कौशल का उपयोग तेजी से बढ़ा है। डिजिटल कौशल वैश्वीकरण की दुनिया में अत्यन्त आवश्यक है।
इस कौशल का उपयोग करके आज के युवा लाखों रूपये कमा रहे हैं। इस नवीनतम एवं ज्वलन्त विषय पर सेमिनार के माध्यम से व्यापक विचार-विमर्श से सार्थक परिणाम प्राप्त होंगे। इस सेमिनार में देश एवं प्रदेश के अन्य महाविद्यालयों से अनेक प्राध्यापकों एवं शोधार्थियों ने सक्रिय सहभागिता की। सेमिनार में प्रतिभागियों के साथ महाविद्यालय की अनेक छात्राओं ने शोध-पत्र प्रस्तुत किये। सम्पूर्ण सेमिनार का संचालन डॉ. साधना सेवक वं डॉ. प्रियंका ढलवानी ने किया एवं आभार प्रदर्शन एवं सेमिनार के सचिव प्रो. सुनिल कुमावत ने किया।