नीमच। संसार में रहते हुए मनुष्य से भुल वश अनेक पाप कर्म हो जाते हैं। उन पापों के प्रायश्चित के लिए तपस्या भक्ति पूजा अर्चना आनंद के साथ करें तभी उसका पुण्य फल प्राप्त हो सकता है। सच्चे आनंद का संबंध आत्मा से होता है। आत्मा को आनंद मिलता है तभी सम्यक दर्शन की प्राप्ति का मार्ग मिलता है। अंत्येष्टि से पहले परमेष्टि को प्राप्त करना आवश्यक है। जिनवाणी का स्वाध्याय कर जीवन का निर्माण करना चाहिए तभी हमारा निर्वाण मोक्ष का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। यह बात साध्वी चंदनबाला श्री जी महाराज साहब ने कहीं। वे श्री जैन श्वेतांबर भीडभंजन पार्श्वनाथ मंदिर मंडल ट्रस्ट पुस्तक बाजार नीमच के तत्वाधान में आराधना भवन नीमच में सोमवार सुबह आयोजित प्रवचन श्रृंखला में बोल रही थी।
उन्होंने कहा कि आत्मा से आत्मा का साक्षात्कार परिचय प्राप्त करना चाहिए तभी जीवन के कल्याण का मार्ग मिल सकता है। जिन्होंने समय का मूल्य को समझा है उन्होंने जीवन का मूल्य समझा है। गृहस्त धर्म का पालन करते हुए पूजा करने से पवित्र भाव आते हैं। सच्चे गुरु भक्तों के दर्शन से साधु संतों को आनंद की अनुभूति होती है युवा वर्ग भक्ति से जुड़ता है तो इंसान को इंसान से प्रेम करेगा तभी त्याग का महत्व समझ आता है तभी पुण्य धर्म का लाभ मिलता है। हमारी अंतरात्मा के भाव पवित्र होते हैं तभी जन्म समाप्त होता है। भाव पवित्र होते हैं तभी हमारा कल्याण हो सकता है। सम्मैद शिखर जी तीर्थ दर्शन प्रेरणादाई है । यहां से 20 तीर्थंकर मोक्ष गए थे। और अनेक आत्माओं ने यहां साधना कर मोक्ष को प्राप्त किया है। पत्नी पसंद से मिलती है। मां पुण्य और सौभाग्य से मिलती है लेकिन आजकल वाइफ ही लाइफ बन रही है चिंतन का विषय है। जहां विश्वास होता है वहां सफलता मिलती है जहां आशंका होती है।
वहां असफलता मिलती है। संसार का सुख भौतिक संसाधनों से जो मिलता है वह स्थाई सुख नहीं होता है। स्थाई सुख भक्ति तपस्या पूजा अर्चना से ही मिल सकता है। राजस्थान में आबू पर्वत पर जितने भी जैन तीर्थ है वह श्रद्धा और भक्ति का केंद्र है। सच्ची श्रद्धा और भक्ति होती है तभी आनंद मिलता है। आनंद ही परम गति का कारण बनता है। इसलिए मनुष्य को पुण्य कर्म करते हुए आनंद के साथ जीवन जीना चाहिए तभी आत्म कल्याण का मार्ग मिल सकता है। परमात्मा के उपदेश और वाणी पर कभी भी संदेह नहीं करना चाहिए मानव शरीर अनमोल हीरा है इसे हमें व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए। हमें संयम जीवन का मार्ग अपनाने की भावना हमेशा रखना चाहिए।
उक्त जानकारी ट्रस्ट अध्यक्ष अनिल नागौरी सचिव मनीष कोठारी ने दी।