भोपाल। आस्था और अंधविश्वास में बहुत बारीक लकीर होती है। अगर ज़रा भी भटके तो लकीर के उस पार जाने में समय नहीं लगता। और अंधविश्वास के कितने नुकसान हो सकते हैं..ये बात किसी से छिपी नहीं। ऐसे हजारों किस्से हैं जहां अंधविश्वास ने हंसते खेलते जीवन को बर्बाद कर दिया। ऐसा ही एक मामला सामने आया है।
छत्तीसगढ़ से। पुत्र प्राप्ति की मन्नत पूरी करने के लिए एक शख्स ने पूरा चूजा निगल लिया। अंधविश्वास का कोई तार्किक, वैज्ञानिक या प्रमाणिक आधार नहीं होता है। एक बार इसके चक्कर में फंसे तो फिर और गहरे धंसते जाते हैं। ऐसे में व्यक्ति न तो फिर अपनी दिमाग का उपयोग करता है, न किसी और की सलाह मानता है। अंधविश्वास में पड़े व्यक्ति को लगता है कि उसकी धारणा ही सही है और ऐसे में कई बार इतना भारी नुकसान उठाना पड़ता है, जिसकी कोई भरपाई नहीं होती। ऐसा ही कुछ हुआ आनंद यादव के साथ। क्या है मामला मामला सरगुजा के दरिमा थाना क्षेत्र में छिंदकालो गांव का है। यहां आनंद यादव के घर पंद्रह साल बाद किलकारियां गूंजी थी। वो पाँच महीने पहले ही एक बेटे का पिता बना था और उसे लगता था कि ये उसी झाड़फूंक का नतीजा है जो पिछले कुछ समय से उसने कराई थी। गांववालों के मुताबिक़ आनंद यादव किसी महिला के संपर्क में था और हर सोमवार वहां झाड़फूंक कराने जाता था। पुत्र प्राप्ति के बाद उसे लगता था कि इस तंत्र मंत्र के कारण ही उसके घर ये खुशियां आई हैं। ‘
अंधविश्वास ने छीनी खुशियां ये घटना 14 दिसंबर की है। इसके पाँच दिन पहले ही आनंद यादव ने अपने बेटे का मुंडन संस्कार कराया था। इन्हीं अनुष्ठानों के बीच वो एक मुर्गी का चूजा भी ख़रीदकर लाया था। घटना वाले दिन उसने अपनी पत्नी से बेटे को नहाकर लाने के लिए कहा। वो खुद भी नहाकर आया और तभी आँगन में गिरकर छटपटाने लगा। उसकी हालत देख घरवाले उसे तुरंत अस्पताल लेकर गए। लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। जब आनंद का पोस्टमार्टम किया गया तो गले में मरा हुआ चूजा अटका मिला। ये देखकर डॉक्टर हैरान रह गए। डॉक्टरों के मुताबिक उसने चूजे को जिंदा निगल लिया था जो उसकी श्वास नली में अटक गया और दम घुटने से उसकी मौत हो गई। फ़िलहाल पुलिस ये पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या उस महिला ने मृतक को चूजा निगलने की सलाह दी थी, जिसके पास वो झाड़फूंक कराने जाता था। लेकिन इस घटना के बाद से आसपास के इलाके में सनसनी है।