चीताखेड़ा । किसी जमाने में मालियों के नाम से जानी जाने वाली 80 फीट गहरी कुड़ी (कुआं) से पूरे गांव की जनता पानी से अपनी प्यास बुझती थी। बदलते समय आज वही कुआं कुड़ा कचरा एवं मौत का कुआं बन गया है।
आएं दिन कभी गाय तो कभी बेजान जानवरों कुत्ते तो कभी बिल्लियों तो कभी कबूतरों की मौते देखने और सुनने में आ ही जाती है। उल्लेखनीय है कि इस कुएं में देखते ही देखते इंसान और गाय, कुत्ते व बिल्लियों की गिरने से मौत हो गई है। तो मौहल्ले वासियों ने कई गाय और कुत्तों व बिल्लियों की जाने बचाई है। पंचायत की लापरवाही के चलते उक्त कुएं पर जाली या किसी प्रकार से ढक्कन नहीं लगाया गया जिसके कारण मौहल्ले वासियों ने कुएं में कचरा गंदगी डाल डालकर कुंडा दान बना दिया है। तीन दिन पूर्व दो कुत्ते और एक कबूतर पानी में गिर गए थे जिन्हें पड़ोसियों को पता चलने पर बाप बेटे मन्नालाल माली, सुनिल माली ने साहस दिखाते हुए अपनी जान जोखिम में डालकर रस्सी के सहारे रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया और कुएं में उतरकर 20 लोर्गो की मदद से 3 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद एक कुत्ते और एक कबूतर की जान तो बचा ली गई है पर एक कुत्ते की जान नहीं बचा पाए।
मन्नालाल माली, सुनिल माली, पंच प्रतिनिधि कारुलाल माली, पत्रकार भगत मांगरिया, अंतिम माली, कुसुम माली, रजनीश भदेरिया, कमलेश माली, कन्हैयालाल माली, शुभम माली सहित अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बेजान जानवरों की जान बचाने में मुख्य सहभागिता निभाई है। पंच प्रतिनिधि कारुलाल माली ने बताया है कि मेने कई बार पंचायत में जवाबदारों को इस मामले में ध्यान आकर्षित करना चाहा परन्तु हर बार बात पर कोई तवज्जो नहीं दी गई। मौहल्ले वासियों ने पंचायत सरपंच और सचिव से आग्रह किया है कि समय रहते इस मौत के कुएं पर जाली या ढक्कन लगाया जाएं।