नीमच । हम जब भी कहीं भी किसी भवन मकान कार्यालय में प्रवेश करें तो वहां यदि स्वागत शब्द धरती पर पैरों में आता हो तो शब्दों पर पैर रखकर नहीं चले, उससे दूर हटकर ही चले ताकि मां सरस्वती के शब्द ज्ञान की असातना ना हो मां सरस्वती के शब्दों का अपमान नहीं हो इस बात का हमारे जीवन में हमें विशेष ध्यान रखना चाहिए तभी ज्ञान हमारे जीवन को सार्थक कर सकता है।
हम जब भी बाजार से किसी भोजन सामग्री या वस्तु के पैकेट से आहार सामग्री ग्रहण करें तो उसे पर शब्द लिखे हो तो उसे झूठा नहीं करें इससे भी पाप कर्म लगता है इस बात का विशेष ध्यान रखें। संसार में रहते हुए मनुष्य को अपनी आत्मा के कल्याण के लिए जब तप एवं भक्ति की आवश्यकता होती है लेकिन आत्म कल्याण के लिए ज्ञान और धार्मिक संस्कारों का ज्ञान होना भी आवश्यक है इसलिए हमें ज्ञान की तपस्या साधना और आराधना पवित्र मन से करना चाहिए तभी हमारे जीवन का कल्याण हो सकता है। यह बात साध्वी सोम्यरेखा श्री जी महाराज साहब की सुशिष्या साध्वी सुचिता श्रीजी मसा ने कही। वे जैन श्वेतांबर महावीर जिनालय ट्रस्ट विकास नगर श्री संघ के तत्वाधान में श्री महावीर जिनालय आराधना भवन नीमच में धर्म आगम पर्व के उपलक्ष्य में आयोजित।
ज्ञान पंचमी उत्सव धर्म सभा में बोल रही थी। उन्होंने कहा कि बच्चों को धार्मिक पाठशाला के माध्यम से ज्ञान और संस्कार सीखना चाहिए। यदि हम इस जन्म में मां सरस्वती के शब्द ज्ञान की असातना या अपमान करेंगे तो अगले जन्म में हमें इसका फल गूंगा, तोतला, बहरा, अंधा होकर चुकाना पड़ेगा। बच्चे एवं सभी लोग ज्ञान शब्दों का अपमान नहीं हो इस बात का सदैव ध्यान रखें तभी उनके जीवन में सफलता निरंतर मिलती रहेगी। जीवन में आत्म शांति प्राप्त करना है तो प्रतिदिन एक धार्मिक गाथा का अध्ययन करना चाहिए। पेन पेंसिल को मुंह में लेकर झूठा नहीं करना चाहिए इस बात का भी सभी को ध्यान रखना चाहिए। में सावधानियां के साथ ज्ञान का अध्ययन करेंगे तो हमारी बुद्धि तीव्र होगी और हम सफलता के शिखर की ओर अग्रसर हो सकते हैं। ज्ञान को सीख कर विद्वान होना अलग बात है गुरु के प्रति सम्मान करना अलग बात है। ज्ञान और शब्दों की स्थापना अपमान करते हैं तो उसका फल हमें अवश्य मिलता है इसलिए हमें ज्ञान शब्द की आराधना नहीं हो इस बात का ध्यान सदैव रखना चाहिए। इनका किया सम्मान इस अवसर पर श्री महावीर जिनालय विकास नगर पदाधिकारीयों द्वारा धार्मिक संस्कार शिक्षा के क्षेत्र में 4 धार्मिक शिक्षिकाओं, 4 महिला मंडलों, व प्रतिदिन सामायिक में शामिल होने वाले 3 पुरुषों तथा 150 सामायिक का लक्ष्य पूरा करने की और अग्रसर 18 महिलाओं का ज्ञान पंचमी उत्सव के उपलक्ष्य में दुपट्टा, मोती, माला पहनकर सम्मान किया गया। इस वर्षावास में सागर समुदाय वर्तिनी सरल स्वभावी दीर्घ संयमी प.पू. शील रेखा श्री जी म.सा. की सुशिष्या प.पू. सौम्य रेखा श्री जी मसा, प.पू. सूचिता श्री जी म सा, प.पू. सत्वरेखा श्री जी म साआदि ठाणा 3 का चार मास के व्रत, जप तथा विविध धर्म अनुष्ठानों के साथ तपस्या प्रवाहित हो रही है।
श्री संघ अध्यक्ष राकेश आंचलिया जैन, सचिव राजेंद्र बंबोरिया ने बताया कि प्रतिदिन 9 बजे चातुर्मास में धार्मिक विषयों पर विशेष अमृत प्रवचन श्रृंखला का आयोजन हो रहा है। समस्त समाज जनअधिक से अधिक संख्या में पधार कर धर्म लाभ लेवें एवं जिन शासन की शोभा बढ़ावे।