नीमच । उत्तराध्ययन सुत्र के ज्ञान के बिना मोक्ष का मार्ग नहीं मिलता है। उत्तराध्यन सूत्र के तत्व ज्ञान का अध्ययन करने और अपने जीवन में आत्मसात करने से ही धार्मिक संस्कार का ज्ञान सिद्ध होता है। घर परिवार को उत्तराधयन सूत्र के धार्मिक संस्कारों का तत्व का ज्ञान आवश्यक है।
वैराग्य जीवन जीने वाला मानव ही धर्म तत्व का ज्ञान सिखता है। परिवार जैसी आसक्ती देवगुरु धर्म से करें तो सांसारिक जीवन से मानव पार हो जाएगा। धर्म तत्व की जिनवाणी से आत्मज्ञान हो इसके श्रवण से राग द्वेष पाप कर्मों के बंधन टूट टूट जाते हैं और पुण्य परमार्थ पुरुषार्थ प्रकट होता है।
यह बात साध्वी सोम्यरेखा श्री जी महाराज साहब की सुशिष्या साध्वी सुचिता श्रीजी मसा ने कही। वे जैन श्वेतांबर महावीर जिनालय ट्रस्ट विकास नगर श्री संघ के तत्वाधान में श्री महावीर जिनालय आराधना भवन नीमच में धर्म आगम पर्व के उपलक्ष्य में आयोजित धर्म सभा में बोल रही थी। उन्होंने कहा कि मनुष्य योनि एकमात्र ऐसी योनि है जिसमें व्यक्ति मोक्ष जा सकता है। अभय दान कर अपनी आत्मा का कल्याण कर सकते हैं। हमें समभाव से रहना चाहिए मानव मन में सभी को संमभाव से रहना चाहिए। जहां विषय कषाय है वहां केवल ज्ञान नहीं होता है। धर्म ध्यान, शुक्ल ध्यान, अर्थ ध्यान, क्रोध ध्यान है शुक्ल ध्यान के जाते जाते केवल ज्ञान प्राप्त होता है। पशु योनि में नहीं जाना तो हमें अर्ध ज्ञान को समझना होगा। साध्वी महाराज साहब ने उत्तराध्यन सूत्र में अभी संध्या के गौतम 8 गाथा कर अघात्ती कर्म वेदनीय आयुष्य नाम कर्म और महावीर प्रभु के गौतम स्वामी संवाद पांच महावृत, 24 व प्रवचा माता, 27 गाथा, माता साधु की 8 माता, पोषध, पाप, ब्रह्मचर्य, सम्यक दर्शन आदि के वर्तमान परिपेक्ष्य में महत्व प्रतिपादित किया।
इस वर्षावास में सागर समुदाय वर्तिनी सरल स्वभावी दीर्घ संयमी प.पू. शील रेखा श्री जी म.सा. की सुशिष्या प.पू. सौम्य रेखा श्री जी म सा, प.पू. सूचिता श्री जी म सा, प.पू. सत्वरेखा श्री जी म सा आदि ठाणा 3 का चातुर्मासिक तपस्या उपवास जप व विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के साथ प्रारंभ हो गया है।
श्री संघ अध्यक्ष राकेश आंचलिया जैन, सचिव राजेंद्र बंबोरिया ने बताया कि प्रतिदिन 7.30 बजे चातुर्मास में धार्मिक विषयों पर विशेष अमृत प्रवचन श्रृंखला का आयोजन हो रहा है।