नीमच सिद्ध चक्र नवपद की आराधना से सच्चा सुख मिलता है वह सुख और कहीं नहीं मिलता है। समता के बिना समाधि नहीं मिलती है। सिद्ध चक्र की आराधना रूपी नींव से धर्म की मंजिल मजबूत होती है। चरित्र तप की साधना के बिना आत्मा का कल्याण नहीं होता है। यह बात साध्वी सोम्यरेखा श्री जी महाराज साहब की सुशिष्या साध्वी सुचिता श्रीजी मसा ने कही। वे जैन श्वेतांबर महावीर जिनालय ट्रस्ट विकास नगर संघ के तत्वाधान में महावीर जिनालय आराधना भवन नीमच में धर्म आगम पर्व के उपलक्ष्य में आयोजित धर्म सभा में बोल रही थी।
उन्होंने कहा कि समयकतत्व को जीवन में आत्मसात किए बिना नव पद की साधना पूरी नहीं होती है। संसार से मुक्ति के लिए नव पद की साधना करनी चाहिए। सम्यक तत्व में ज्ञान की आराधना होती है। सम्यक यानी शुद्ध पवित्र आराधना होती है। मिथ्या तत्व यानी अशुद्ध आराधना होती है जो विनाश की ओर ले जाती है। निंदा करना हो तो 2 घंटे भी कम पड़ जाते हैं। यह हमारा मिथ्यात्त्व का लगाव है। हम सुबह उठते ही धर्म शास्त्रों के बजाय समाचार पत्र में ज्यादा रुचि रखते हैं जबकि धर्म ग्रंथ को प्राथमिकता से अध्ययन करना चाहिए धर्म ग्रंथ हमें सम्यक तत्व से जोड़ता है।
समाचार पत्र हमें संसार से जोड़ता है। नवकार में पांच पद होते हैं नवकार मंत्र शाश्वत सत्य है। नवकार मंत्र को कम पढ़ना भी पाप की तरफ जाना होता है। जब तक हम नवकार मंत्र पढ़ते रहेंगे पाप कर्म से बचते रहेंगे। इस वर्षावास में सागर समुदाय वर्तिनी सरल स्वभावी दीर्घ संयमी प.पू. शील रेखा श्री जी म.सा. की सुशिष्या प.पू. सौम्य रेखा श्री जी म सा, प.पू. सूचिता श्री जी म सा, प.पू.सत्वरेखा श्री जी म सा आदि ठाणा 3 का चातुर्मासिक तपस्या उपवास जप व विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के साथ प्रारंभ हो गया है। श्री संघ अध्यक्ष राकेश आंचलिया जैन, सचिव राजेंद्र बंबोरिया ने बताया कि प्रतिदिन 9 बजे चातुर्मास में धार्मिक विषयों पर विशेष अमृत प्रवचन श्रृंखला का आयोजन हो रहा है । समस्त समाज जनअधिक से अधिक संख्या में पधार कर धर्म लाभ लेवें एवं जिन शासन की शोभा बढ़ावे। 0000