मनासा । आस्था का अटूट विश्वास मां आंतरी की गाथा विश्व विख्यात हो गई है। यही कारण है की मां आंतरी के चमत्कारों की प्रसंशा भी कोसों दूर फैली हुई है।
माता की दया इतनी है की आस्था लेकर आए भक्त की मनोकामना अवश्य पूरी होती है लेकिन भक्त भी मंशा पूर्ण होने पर माता को मुख की जीभ अर्पित करते है। मां आंतरी भी भक्तों के विश्वास को कायम रखते हुए कटी हुई जिव्हा मात्र नो दिनों में वापस प्रधान कर देती है आंकड़ों की दृष्टि से ऐसे नजारे सैंकड़ों बार देखे जा चुके है। इसी चमत्कारों के चलते प्रति वर्ष रामपुरा दीवान के वहा से कार्तिक नवरात्रि में दशहरे पर्व पर मां आंतरी को पोषाख़ अर्पण की जाती है।
जो आंतरी माता के चंद्रावत (राजपूत) सरदार बड़े ही हर्ष के साथ मां आंतरी को पोशाख अर्पण करते है। मामले में कृष्णपाल सिंह और जितेंद्र सिंह चंद्रावत ने जानकारी देते हुए बताया है की आंतरी माता के राजपूत सरदार सुबह 10 बजे गांव में स्थित श्री राम मंदिर पर एंकंत्रित हुए जहा पर समस्त राजपूत सरदार राजपूती वेशभूषा में थे, सबके हाथ में तलवार और माथे पर पग बंदी हुई थी। जहां से पोशाख लेकर वह ढोल के माध्यम से पैदल - पैदल भ्रमण कर मां आंतरी के मंदिर में पहुंचे जहां माथा टेक मां आंतरी को पोशाख अर्पण की।
पश्चात इसके शस्त्र पूजन कर गंतव्य को लोटे।