भोपाल। प्रदेश में इन दिनों दशहरे और दिवाली की धूम है, बाजार सजे हैं, लोग शॉपिंग के लिए निकल रहे हैं घरों से लेकर बड़े बड़े मैदानों तक पर शस्त्र पूजन और रावण दहन की तैयारी कर रहे हैं ऐसे में सरकार भी एक्टिव है मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के निर्देश के बाद इस बार शस्त्र पूजन कार्यक्रम शासन स्तर पर किया जायेगा, इसमें सभी मंत्री , सांसद, विधायक और अन्य जन प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे और अपने अपने क्षेत्रों में रहेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि हमारे भारतीय पर्व उमंग और उल्लास के प्रतीक होते हैं।
इस वर्ष प्रदेश में दशहरा पर्व सरकार और समाज मिलकर धूमधाम के साथ मनाएंगे और शस्त्र-पूजन भी किया जायेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेशवासियों को दशहरा पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि इस वर्ष का दशहरा पर्व महिला सशक्तिकरण और सुशासन की प्रतीक देवी अहिल्याबाई को समर्पित रहेगा। देवी अहिल्याबाई ने देश भर में जन-कल्याण के अनेक महती कार्य संपन्न करवाए। इन कार्यों की स्मृति और देवी अहिल्याबाई के योगदान से आज की पीढ़ी को अवगत करवाने और उनके सम्मान में दशहरा पर्व पर शस्त्र-पूजन के कार्यक्रम होंगे। मंत्री, सांसद, विधायक और जन-प्रतिनिधि भी करेंगे अपने क्षेत्रों में Shastra Pujan मुख्यमंत्री डॉ.यादन ने कहा कि इस दशहरा पर्व पर भारत की प्राचीन शस्त्र-पूजन परंपरा में सरकार के मंत्रीगण सहित सांसद, विधायक और जन-प्रतिनिधि भी अपने क्षेत्र में होने वाले कार्यक्रमों में शामिल होंगे।
प्रत्येक जिले में पुलिस शस्त्रागार, कोतवाली और थानों में होने वाले शस्त्र-पूजन एक विभाग तक सीमित न होकर जनता का पर्व बनेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि वे स्वयं देवी अहिल्याबाई की राजधानी रही महेश्वर और उनकी छावनी रही इंदौर में शस्त्र-पूजन करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हम अहिल्याबाई की 300वीं जयंती का वर्ष मना रहे हैं। लोकमाता देवी अहिल्याबाई का व्यक्तित्व, जीवन और चरित्र हम सबके लिये आदर्श है। वे एक तपोनिष्ठ, धर्मनिष्ठ और कर्मनिष्ठ शासक, प्रशासक रही है। उनसे हम सबको प्रेरणा लेना चाहिये। देवी अहिल्याबाई ने धर्म के भाव के साथ शासन व्यवस्था चलाने का बेहतर उदाहरण प्रस्तुत किया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि उनका धर्म तथा राज्य व्यवस्था में विशेष महत्व है। उनका मुख्य ध्येय था कि उनकी प्रजा कभी भी अभावग्रस्त और भूखी नहीं रहे। उनके सुशासन की यशोगाथा पूरे देश में प्रसिद्ध है। उन्होंने समाज-सेवा के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया था।
अहिल्याबाई हमेशा अपनी प्रजा और गरीबों की भलाई के बारे में सोचती थी, साथ ही वे गरीबों और निर्धनों की हरसंभव मद्द के लिए हमेशा तत्पर रहती थी। उन्होंने समाज में विधवा महिलाओं की स्थिति पर भी खासा काम किया और उनके लिए उस वक्त बनाए गए कानून में बदलाव भी किया था।