चीताखेडा । विदाई लेती बारिश के मौसम ने एक बार फिर करवट बदली और दो दिन से आसमान में बादल छाए रहने से मौसम खुशनुमा बना रहा। हल्की बूंदाबांदी के बीच मां के प्रति भक्तों में भक्ति का जज्बा भी इतना सिर चढ़कर बोल रहा था कि जय माता दी... जय माता दी जय कारे लगाते हुए मां आवरी की चौखट पर पहुंच दिव्य दर्शन कर माँगी गई मुरादें पूरी होने पर मां का आभार प्रकट किया।
इन दिनों समूचा अंचल नवरात्रि के पावन अवसर पर आस्था के सैलाब में समाया हुआ है, देवी मंदिरों में सुबह से जय माता दी के जयकारों और शंखनाद , बंटी-घड़ियाल की ध्वनि से गूंज रहा है अंचल। आरोग्य देवी महामाया आवरी माता, अंबे माता, शीतला माता, कामाख्या देवी समेत पूरे अंचल के सभी देवी मंदिरों में अल सुबह से प्रतिदिन आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। शुक्रवार को प्रातः 10 बजे से दुर्गा अष्टमी यज्ञ हवन पूजन प्रारंभ हुआ जो दोपहर तक चला। विशेष आरती के पश्चात् महाप्रसाद वितरण की गई। शारदीय नवरात्र के आठवें दिन शुक्रवार को दिन भर मां आवरी के दरबार में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा दिन भर मेला जैसा मंजर लगा रहा। अल सुबह से देर रात तक बड़ी संख्या में आवाजाही बनी हुई रही। मध्य प्रदेश के मंदसौर, नीमच, रतलाम, उज्जैन तथा राजस्थान के चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़ और गुजरात के कई जिलों के शहरों एवं ग्रामीण इलाकों से बड़ी संख्या में मां जगदंबा के प्रति आस्था रखने वाले मां के भक्त मन में अगाध श्रद्धा लिए मां आवरी माता के दिव्य दर्शन हेतु बड़ी संख्या में उमड़े। इन दिनों मां की शक्ति में भक्ति भक्तों द्वारा नौ दिनों के लिए मां को प्रसन्न करने के लिए कोई व्रत, उपवास तो किसी ने भोजन का त्याग तो किसी ने जल का त्याग (निर्जल), तो कोई चप्पल, जुते का त्याग कर मां जगदंबा को रिझाने में लगे हुए हैं। चीताखेड़ा के समीप माता का खेड़ा की पावन धरा पर धाम आरोग्य देवी महामाया आवरी माता जी के अलौकिक दरबार में विराजित मां जगदंबा के दिव्य दर्शन के लिए युवा, बुजुर्ग, बच्चे , महिला-पुरुष नंगे पांव पैदल चलकर मनोकामना पूर्ण करने के लिए मां की चौखट पर मत्था टेकने पहुंच रहे हैं।
हर वर्ष की भांति इस बार भी शारदीय नवरात्र पर्व के आठवें दिन शुक्रवार को प्रातः 10 बजे से दुर्गा अष्टमी यज्ञ हवन पूजन शुरू हुआ जो दोपहर तक चला। यज्ञ में देश में अमन शांति, सुख- समृद्धि और खुशहाली तथा महामारी से सुरक्षा दृष्टि से आहुतियां दी गई। यज्ञ हवन की पूर्णाहुति के पश्चात् विशेष आरती कर महाप्रसाद वितरण की गई।