नीमच । शक्रस्तव आलापकों का जाप नियमित करते हैं तो पाप कर्मों का क्षय होता है। मोक्ष होने से पहले उच्च गति मिलती है। पुण्य परमार्थ का आशीर्वाद मिलता है। धार्मिक नैतिक संस्कारों का विकास होता है। वर्धमान शक्रस्तव आलापकों का जाप पाप कर्मों का विनाश करता है। यह बात साध्वी सोम्यरेखा श्री जी महाराज साहब की सुशिष्या साध्वी सुचिता श्रीजी मसा ने कही। वे जैन श्वेतांबर महावीर जिनालय ट्रस्ट विकास नगर श्री संघ के तत्वाधान में महावीर जिनालय नीमच में धर्म आगम पर्व के उपलक्ष्य मेंआयोजित धर्म सभा में बोल रही थी।
उन्होंने कहा कि आलापकों का जाप करने से जीव से दुश्मनी नहीं रहती है। दुश्मन यदि सामने आ जाए तो वह हमारे अनुकूल हो जाता है। इस जाप को करने से क्रोध मोह माया का प्रभाव कम होता है। इसके जाप से वाहन संपत्ति देव कृपा पंच महाभूत सिद्धियां सज्जन का अनुग्रह दुर्जन की दूरी बढ़ती है। छल कपट और धोखा नहीं मिलता है। इस अवसर पर मंदिर में 11 आलापकों का जाप किया गया। संगीतकार भजन गायक कलाकार शुभम चौहान नाकोड़ा, हितेश नागौरी ने विभिन्न कर्ण प्रिय मधुर भजन प्रस्तुत किये। मंदिर में भगवान महावीरजी स्वामी की प्रतिमा पर अक्षत श्रीफल स्वास्तिक बनाकर गुलाब के फूलों से अभिषेक किया गया। और दीपक से आरती कर साधार्मिक भक्ति का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन राहुल जैन ने किया तथा आभार अध्यक्ष राकेश जैन आंचलिया ने व्यक्त किया। इस वर्षावास में सागर समुदाय वर्तिनी सरल स्वभावी दीर्घ संयमी प.पू. शील रेखा श्री जी म.सा. की सुशिष्या प.पू. सौम्य रेखा श्री जी म सा, प.पू. सूचिता श्री जी म सा, प.पू. सत्वरेखा श्री जी म साआदि ठाणा 3 का चातुर्मासिक तपस्या उपवास जप व विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के साथ प्रारंभ हो गया है।
श्री संघ अध्यक्ष राकेश आंचलिया जैन, सचिव राजेंद्र बंबोरिया ने बताया कि प्रतिदिन 9 बजे चातुर्मास में धार्मिक विषयों पर विशेष अमृत प्रवचन श्रृंखला का आयोजन हो रहा है।