नई दिल्ली। इन दोनों बारिश का कहर जारी है। जिसका सबसे अधिक नुकसान नेपाल सहित बिहार के कुछ इलाके में देखा गया है, जहां नदी-नाले उफान पर हैं। लोगों के घरों में पानी घुस गया है। उस कारण घर छोड़कर दूसरे स्थान पर रहना पड़ रहा है। बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है कई गांव का जिला मुख्यालय से संपर्क टूट चुका है। प्रशासन ने हाई अलर्ट भी जारी कर दिया है। इसी कड़ी में नेपाल में भी बढ़ के कारण स्थिति बेहद गंभीर थी। इस दौरान मध्य प्रदेश के 23 श्रद्धालु यहां फस गए थे जो कि भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन करने गए थे। 23 श्रद्धालुों की भारत वापसी बता दे कि नेपाल सरकार द्वारा सभी 23 लोगों को सब क्वेश्चन मध्य प्रदेश के लिए रवाना कर दिया गया है।
और उन्हें भारत बॉर्डर पर छोड़ा जाएगा। इसके बाद भारत सरकार सभी लोगों को उनके जिले तक ले जाएगी। बाढ़ की स्थिति के कारण चार दिनों तक उन्हें कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। बाढ़ के कारण कोसी नदी उफान पर है। जल के बढ़ते स्तर को देखते हुए सभी फाटक खोल दिए गए हैं, जिससे आसपास के बहुत से इलाके जलमग्न हो गए। मौके पर एसडीआरएफ की टीम तैनात कर दी गई है, जो लोगों का रिस्क कर रहे हैं। डॉक्टर ने की इंडियन एंबेसी पर कार्रवाई की मांग इस घटना ने इंडियन एंबेसी की भूमिका पर गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए हैं। बाढ़ में फंसे जबलपुर के वेटरनरी विश्वविद्यालय की सहायक अध्यापक डॉक्टर राकेश बरहिया ने आरोप लगाया है कि भारतीय दूतावास ने उनकी मदद नहीं की उनके गुहार लगाने के बाद भी इस और ध्यान नहीं दिया गया।
4 दिन की संघर्ष के दौरान उन्हें भोजन नहीं मिला और ना ही किसी और प्रकार की सुविधा मिल पाई। इसलिए उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से मामले में कार्रवाई की मांग की है।