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आचार्य जिन सुंदर सुरीश्वर मसा की निश्रा में चेत्यपरिपाटी में श्रद्धालु भक्त 6 किमी. पैदल चले, मंदिर दर्शन के लिए पदयात्रा आत्म कल्याण की पवित्र साधना है - आचार्य जी सुंदर सुरीश्वर जी मसा

नीमच हैडलाइंस September 15, 2024, 6:01 pm Technology

नीमच । केबीसी न्यूज़ युग प्रधान आचार्य चंद्रशेखर विजय जी के शिष्य रत्न आचार्य श्री जिन सुंदर सूरीश्वर जी जी महाराज साहब, धर्म बोधि सूरीश्वर जी महाराज साहब परम पूज्य कीर्ति रेख रेखा श्री जी महाराज साहब की सुशिष्या दृष्टि रेखा श्री जी महाराज साहब आदि ठाना की पावन निश्रा एवं वासुपूज्य जैन मंदिर इंदिरा नगर नीमच के तत्वावधान में रविवार 15 सितंबर सुबह 6:30 बजे पुस्तक बाजार स्थित भीडभंजन पार्श्वनाथ मंदिर से चैत्यपरिपाटी यात्रा का शंखनाद हुआ।

वासुपूज्य जैन मंदिर ट्रस्ट इंदिरा नगर नीमच के अध्यक्ष चंद्र राज कोठीफोडा, सचिव चंचल श्रीमाल ने संयुक्त रूप से बताया कि चैत्यपरिपाटी की यात्रा का जुलूस पुस्तक बाजार जैन मंदिर से प्रारंभ हुआ जो नगर के प्रमुख मार्गों से होता हुआ। वासुपूज्य जैन मंदिर इंदिरा नगर पहुंचकर प्रभु दर्शन के बाद बैरिस्टर उमाशंकर त्रिवेदी मांगलिक भवन में आयोजित धर्म सभा में परिवर्तित हुआ। चेत्यपरिपाटी यात्रा के बाद आयोजित धर्म सभा में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए आचार्य जिन सुंदर सुरीश्वर जी महाराज साहब ने ने कहा कि चैत्य परिपाटी भगवान साहब के उपकार को स्मरण करने के लिए होती है। संसार का कोई भी राग सताए तो प्रभु के शरण में जाना चाहिए। वहां हर समस्या का निवारण सरलता से हो जाता है। प्रभु की भक्ति आत्मा की शुद्धि के लिए होती है। जब कभी भी क्रोध आए तो प्रभु की शरण में जाना चाहिए।

व्यक्ति रात दिन धन के पीछे दौड़ रहा है लेकिन वास्तविक सच्चाई है कि धन नरक का मार्ग होता है। पाप कर्म से बचना है तो प्रभु की प्रार्थना करना चाहिए। परमात्मा की भक्ति करने से जटिल से जटिल रोगी भी निरोगी बन जाता है। त्याग और तपस्या करने से दुख और पाप का नाश होता है। पन्यास पूज्य तत्व रुचि मार साहब ने कहा कि प्राचीन काल में धर्म ग्रंथो को सहेजने का कोई पुस्तक नहीं थी उसे समय गुरु अपने शिष्य को शास्त्रों के श्लोक आदि का ज्ञान प्रदान करते थे और वह शिष्य अपने शिष्य को ज्ञान प्रदान करते थे इस प्रकार ग को स्मरण में रखा जाता था प्राचीन काल में 1600 ई से 900 वर्ष तक आदिनाथ से महावीर स्वामी तक ग्रंथ विस्मृत होने होने लगे। पूरे देश के 5000 साधु और 10000 साथियों ने एकत्रित होकर भारतीपुर में शास्त्र लिखने का निर्णय लिया गया 12 वर्ष तक साधु संतों ने एक ही स्थान पर बैठकर ग की रचना की और एक करोड़ ग्रंथ लिखे गए जिसमें से मुगल काल में अनेक ग्रंथ को जला दिया गया लेकिन उसके बावजूद भी आज 45 आगम ग्रंथ विद्यमान है। जिनकी आराधना जैन समाज के श्रद्धालु भक्त करते आ रहे हैं। आगम की वाचना श्रवण सिर ढककर करना चाहिए। आगम की वचन की जाएगी सभी परिवारजन सफेद बलिदान पहन कर सिर पर पगड़ी पहन कर आगम वचन श्रवण का धर्म लाभ पुण्य ग्रहण करें। पर्यूषण पर्व में आयोजित धार्मिक परीक्षा के प्रश्न पत्र 18 सितंबर तक जमा कराए। 22 सितंबर रविवार को विजय पताका मा पूजन का आयोजन किया जाएगा जिसमें 10 दिगपाल 16 विद्या 64 इंद्र 28 तक सिटी तक के तपस्वियों के नियमित किया कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। 21 सितंबर शनिवार शाम 7 बजे धार्मिक कंरसी मूल्य का मोल लगाया जाएगा जिसमें बच्चे अपनी धार्मिक उपयोग की वस्तुएं धार्मिक ई से करे कर सकेंगे माता-पिता उनके साथ अनिवार्य रूप से सहभागी बनेंगे। 29 सितंबर को नीमच के हर घर पर भगवान आदिनाथ की प्रतिमा मुख्य प्रवेश द्वार पर स्थापित कर मंगल मंत्र का उच्चारण किया जाएगा। सीमा के स्थापित होने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। होगी जितनी बार घर में प्रवेश करेंगे नमो जीना नाम का उच्चारण करेंगे तो घर में सुख शांति रहेगी। फिर शांति का वास होगा । चैत्यपरिपाटी यात्रा में अष्टप्रकारी पूजा के बालक बालिका एक जैसे पूजा के वस्त्र पहनकर शासन की ध्वजा लेकर दो-दो की लाइन में चल रहे थे।

यात्रा पुस्तक बाजार, भीडभंजन पार्श्वनाथ मंदिर से प्रारंभ हुई जो 40 विद्युत केंद्र, भारत माता चौक, टैगोर मागे, कमल चौक, गायत्री मंदिर, शोरुम चौराहा होते हुए इंदिरा नगर स्थित जैन मंदिर पहुंची। परमात्मा की भक्ति करने के लिए मंदिर के उपकरण की थाल नेवैध की थाल, फल की थाल सजाकर लेकर लाएं थे। सभी बालक बालिकाओं को विशिष्ट प्रभावना प्रदान की गई। नीमच संघ की बहने केसरिया वस्त्र में सहभागी बनी। मुमुक्ष नमन जैन, ज्ञानेंद्र जैन का श्री संघ पदाधिकारीयों द्वारा शाल श्रीफल से बहुमान किया गया। तपस्वियों के बहुमान के लाभार्थी परिवार बसंती लाल निर्मला देवी, आशीष, शिखा, विदिप सेहलोत परिवार थे। सिद्धि तप के 41 तपस्वियों का बहुमान श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया । परीपाटी यात्रा में पधारे भक्तों की नवकारसी के लाभार्थी विमलचंद पितलिया की स्मृति में श्रीमती उषा देवी, विशाल भारती, विवेक, शिल्पा, विनीत , वासु, विहान पितलिया परिवार एवंअल्पना दिनेश कटारिया परिवार थे। जिनका इंदिरा नगर जैन मंदिर पदाधिकारीयों द्वारा शाल श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मान किया गया। मंदिर ध्वजा सहित विभिन्न धार्मिक चढ़ावे की बोलियां लगाई गई जिसमें समाज जनों ने उत्साह के साथ भाग लिया। पूज्य आचार्य भगवंत श्री जिनसुंदर सुरिजी मसा, धर्म बोधी सुरी श्री जी महाराज आदि ठाणा 8 का सानिध्य मिला। प्रवचन एवं धर्मसभा सुबह 9 बजे प्रवचन व साध्वी वृंद के दर्शन वंदन का लाभ इन्द्रा नगर वासियों को मिला। कार्यक्रम का संचालन रिदम कोटिफोड़ा जैन ने किया तथा आभार इंदिरा नगर मंदिरअध्यक्ष एवं सचिव ने व्यक्त किया।

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