Latest News

हरतालिका तीज पूजा के लिए कुल इतने घंटे का ही शुभ मुहूर्त, जानें पूजा का समय और मंत्र

Neemuch headlines September 6, 2024, 8:19 am Technology

(हरतालिका तीज पूजा मुहूर्त): -

हरतालिका तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती हैं। हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन रखा जाता है। इस बार हरतालिका तीज का व्रत 6 सितंबर शुक्रवार के दिन रखा जाएगा।

इस बार हरितालिका तीज पर कई शुभ योग बन रहे हैं। आइए जानते हैं हरतालिका तीज पर पूजा का शुभ मुहूर्त और योग। हरतालिका तीज पर बने कई शुभ योग हरतालिका तीज पर 6 सितंबर शुक्रवार के दिन रवि योग, बुधादित्य योग बन रहा है। साथ ही चंद्रमा और शुक्र की कन्या राशि में युति होगी जो की बहुत ही शुभ फलदायी साबित होने वाली है। इन सबके साथ ही गुरु चंद्रमा का नवपंचम योग रहेगा। सुबह हस्त नक्षत्र और शाम में चित्रा नक्षत्र रहेगा। तृतीया तिथि के साथ चतुर्थी तिथि का संयोग बना हुआ है जो शास्त्रों में बहुत ही उत्तम माना जाता है।

हरतालिका तीज पूजा शुभ मुहूर्त:-

5 सितंबर गुरुवार के दिन को तृतीया तिथि सुबह 12 बजकर 22 मिनट पर आरंभ

और इस तिथि का समापन 6 सितंबर को दोपहर में 3 बजकर 1 मिनट पर होगा।

6 सितंबर को हरतालिका तीज की सुबह की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 2 मिनट से 8 बजकर 32 मिनट तक रहेगा।

यानी कुल दो घंटे 31 मिनट का मुहूर्त सबसे उत्तम रहेगा। इसके बाद शाम की पूजा के लिए में 5 बजकर 26 मिनट से 6 बजकर 36 मिनट तक का मुहूर्त सबसे उत्तम रहने वाला है।

इस बार हरतालिका तीज पर हस्त नक्षत्र का बहुत ही शुभ संयोग बन रहा है। जो कि उस समय बना था जब माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए व्रत रखा था।

इन मंत्रों के साथ लें पूजा का संकल्प:-

महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद 'मम उमामहेश्वरसायुज्यसिद्धये हरितालिकाव्रतमहं करिष्ये ।' इस मंत्र का जप करते हुए व्रत का संकल्प लें। अपने घर में मंडप बनाकर उसकी अच्छे से साज सजावट करें।

इसके बाद ओम उमायै० पार्वत्यै० जगद्धात्र्यै० जगत्प्रतिष्ठायै० शान्तिरूपिण्यै० शिवायै० और ब्रह्मरूपिण्यै नमः' मंत्र का जप करते हुए माता पार्वती की मूर्ति की स्थापना करें इसके बाद ओम हराय० महेश्वराय ० शम्भवे० शूलपाणये० पिनाकधृषे० शिवाय० पशुपतये और महादेवाय नमः' का जप करते हुए भगवान शिव की प्रतिमा की स्थापना करें।

अंत में 'देवि देवि उमे गौरि त्राहि मां करुणानिधे । ममापराधाः क्षन्तव्या भुक्तिमुक्तिप्रदा भव।।

का जप करते हुए निराहार रहें और अगले दिन व्रत का पारण करें।

Related Post