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प्रभु महावीर ने विश्व शांति के लिए पांच कर्तव्य बताएं - आचार्य जिन सुंदर सुरीश्वर जी महाराज साहब जी मसा।

Neemuch headlines August 31, 2024, 6:45 pm Technology

नीमच । जैन समाज का पर्युषण पर्व प्रारंभ हुआ है याचना का पावन पर्व है से तपस्या और साधना कर अपनी आत्मा को पवित्र कर आत्मा का कल्याण करने की ओर निरंतर प्रयास करना चाहिए यूक्रेन और रसिया गाजा और इजरायल के बीच युद्ध को शांत करना है तो प्रभु महावीर के सिद्धांत को जियो और जीने दो को अपनाना चाहिए।

आज चारों और हिंसा का महा तांडव हो रहा है। कहीं आतंकवाद फैला हुआ है। तो कहीं स्त्रियों परघं अत्याचार हो रहे हैं। जहां देखो अशांति फैली हुई है। यदि अपने आप को सुखी बनाना है तो जीवन में शांति का अनुभव करना है तो प्रभु महावीर के पांच कर्तव्य को जीवन में अपनाना चाहिए। तभी जीवन का कल्याण हो सकता है। यह बात आचार्य जिन सुंदर श्री जी महाराज साहब ने कहीं। वे जैन श्वेतांबर श्री भीडभंजन पार्श्वनाथ मंदिर श्री संघ ट्रस्ट पुस्तक बाजार के तत्वावधान में मिडिल स्कूल मैदान स्थित जैन भवन में आयोजित धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि पर्षयुण आत्मा को साफ करने का अवसर है। अहिंसाः कोई भी व्यक्ति किसी को मारे नहीं, छोटे से छोटे जीव को भी जीने का अधिकार है। हमें किसी को भी परेशान करने का कोई अधिकार नहीं है। किसी को जान से तो मारना ही नहीं है।

लेकिन किसी भी व्यक्ति के मन में दो दुविचार भी करना नहीं है। यह प्रथम सिद्धांत युद्ध शांत हो जाएंगे। स्त्री के साथ अत्याचार दूर हो जाएगा। यह बात आचार्य जिन सुंदर सुरी श्री जी महाराज ने कहीं। वे जैन श्वेतांबर श्री भीड़ भंजन पार्श्वनाथ मंदिर श्री संघ ट्रस्ट पुस्तक बाजार के तत्वावधान में मिडिल स्कूल मैदान स्थित जैन भवन में आयोजित धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि साधार्मिक भक्ति सभी व्यक्ति को अपना भाई मानकर उनके दुख को दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए कोई भी व्यक्ति भूखा नाश हो जाए उसके लिए सबको भोजन करवा कर ही उनकी भक्ति करनी चाहिए हर व्यक्ति के कासन को दूर करने का प्रयास करना चाहिए यह दूसरा कर्तव्य है समा अपना जिस व्यक्ति के साथ छोट मोटा हुआ है उनके साथ माफी मांगनी चाहिए और सामने वाला माफी मांगने आए तो उसको माफ भी करना चाहिए हर व्यक्ति गलती करता है लेकिन गलती का को स्वीकार तो महापुरुष ही कर सकता है यदि वह तीसरा सिद्धांत अपनाए तो तो पूरे विश्व में महान शांति फैल जाएगी। तपश्चार्य जीवन को जीने के लिए हमें कई पापों का आचरण करना पड़ता है पैसे कमाने के लिए झूठा चोरी बेईमानी कर लेते हैं ऐसे पाप करने ही नहीं चाहिए लेकिन पाप हो गए हो तो उसे खत्म करने के लिए तपश्चार्य करनी चाहिए जिससे हमारी आत्मा शुद्ध हो सके प्रभु भक्ति हम सुखी है परमात्मा के कारण तो प्रभु को याद करके रोजाना मंदिर जाकर प्रभु के गुणगान गाने चाहिए उनकी भक्ति करनी चा चाहिए वर्ष में एक बार गाजियाबाद के साथ पूरे सामान को लेकर बड़े-बड़े के साथ मंदिर दर्शन करने जाना चाहिए इससे प्रभु का उपकार का स्मरण होता हैपूज्य आचार्य भगवंत जिनसुंदर सुरिजी मसा, धर्म बोधी सुरी श्री जी महाराज आदि ठाणा 8 का सानिध्य मिला। एवं धर्मसभा हुई प्रतिदिन सुबह 9. बजे प्रवचन करने के व साध्वी वृंद के दर्शन वंदन का लाभ नीमच नगर वासियों को मिला प्रवचन का धर्म लाभ लिया।

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