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दिगंबर जैन मंदिर में आयोजित प्रवचन धर्म सभा में सुप्रभ सागर जी महाराज ने मार्गदर्शन दिया

Neemuch headlines August 29, 2024, 3:51 pm Technology

नीमच। आत्म तत्व के ज्ञान स्वरूप को पहचाने बिना मोक्ष मार्ग नहीं मिलता है। आत्मा शाश्वत है मानव नाशवान होता है। सम्यक दर्शन को जाने बिना आत्मा को नहीं पहचान सकते हैं। संसार के हास्य से ज्यादा आनंद आत्म तत्व को जानने में होता है।। यह बात सुप्रभ सागर जी महाराज साहब ने कही। वे पार्श्वनाथ दिगंबर जैन समाज नीमच द्वारा दिगम्बर जैन मंदिर में आयोजित धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि संयम जीवन की दीक्षा लेने से पाप कर्मों का नाश हो सकता है। अंहकार का पर्दा दुर्घटना व दुर्गति को प्रदान करता है। अहंकार से आत्मा का कल्याण नहीं होता है।

इसलिए अहंकार का त्याग कर सदेव जीवन में विनम्रता को आत्मसात करना चाहिए। दिगंबर जैन चातुर्मास समिति के संरक्षक संजय गुड्डू जैन ब्रदर्स, मीडिया प्रभारी अमन विनायका ने बताया कि चातुर्मास के अंतर्गत दिगंबर जैन समाज मंदिर में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान प्रतिदिन आयोजित किये जा रहे हैं। चातुर्मास की पावन श्रृंखला के अंतर्गत रविवार को दिगंबर जैन समाज द्वारा एकत्रित 14 हजार रुपए की राशि हरी घास एवं गुड आहार के लिए बही पारसनाथ तीर्थ में स्थित जैन गौशाला में गायों के आहार के लिए प्रेषित की गई।.... रविवार को दिगंबर जैन समाज के प्रत्येक घरों से रोटी का संग्रहण कर जैन गौशाला में गायों को आहार के आहार के लिए प्रेषित करेंगे।... मुनि वैराग्य सागर जी मसा ने कहा कि अहिंसा के पालन के लिए जीव दया को जीवन में आत्मसात करना आवश्यक है। साधु संतों की सेवा से पुण्य मिलता है।

तीर्थंकर तीनों लोकों के जीवों के सुखी जीवन के लिए आत्म कल्याण के लिए दूसरों की उन्नति के लिए तपस्या करते हैं अभी हम हमारे जीवन का कल्याण चाहते हैं तो मन वचन काया से भक्ति तब करेंगे तो भवसागर से पार हो जाएंगे। माता-पिता का जीवन पर्यंत सेवा भाव से आदर करना चाहिए। परम पूज्य चारित्र चक्रवर्ती 108 शांति सागर जी महामुनि राज के पदारोहण के शताब्दी वर्ष मे परम पूज्य मुनि 108 श्री वैराग्य सागर जी महाराज एवं परम पूज्य मुनि 108 श्री सुप्रभ सागर जी महाराज जी का पावन सानिध्य मिला।

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