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साधु संतों की सेवा से बड़ा संसार में कोई पुण्य नहीं होता है-वैराग्य सागर जी महाराज, दिगम्बर जैन समाज में चातुर्मास प्रवचन श्रृंखला प्रवाहित।

Neemuch headlines August 28, 2024, 7:34 pm Technology

नीमच साधु संतों की सेवा करने से मन को जो संतुष्टि मिलती है वह संसार में कहीं और नहीं मिलती है। त्यागी धर्मात्मा व्यक्ति को औषधि दान देकर रोगी सेवा करना चाहिए यह भी संसार का सबसे बड़ा पुण्य होता है। साधु संतों की सेवा से बड़ा कोई पुण्य नहीं होता है। यह बात वैराग्य सागर जी महाराज साहब ने कही। वे पार्श्वनाथ दिगंबर जैन समाज नीमच द्वारा दिगम्बर जैन मंदिर में आयोजित धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि शुद्धआहार से पापों का विनाश हो जाता है। दुःखी व्यक्ति को वचनों के द्वारा वयावृत्ती की सेवा करना भी बड़ा पुण्य का कार्य होता है।

बदमाश अनीति से चाहे कितना ही धन कमा ले लेकिन उनका अंत सदैव बुरा ही होता है। दिगंबर जैन समाज एवं चातुर्मास समिति के अध्यक्ष विजय विनायका जैन ब्रोकर्स, मीडिया प्रभारी अमन विनायका ने बताया कि जैन मंदिर में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं चातुर्मास की पावन श्रृंखला में मुनि सुप्रभ सागर जी मसा ने छःढाला प्रश्न उत्तर के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जीव स्वरूप के तत्व को जाने बिना धर्म साधना नहीं हो सकती है। आत्म चेतन स्वरूप होती है। सम्यक तत्व मुक्ति की गारंटी होता है। परम पूज्य चारित्र चक्रवर्ती 108 शांति सागर जी महामुनि राज के पदारोहण के शताब्दी वर्ष मे परम पूज्य मुनि 108 श्री वैराग्य सागर जी महाराज एवं परम पूज्य मुनि 108 श्री सुप्रभ सागर जी महाराज जी का पावन सानिध्य मिला।

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