नीमच। नगर की अग्रणी साहित्यिक संस्था कृति द्वारा जन्माष्टमी के अबसर पर जाजूजी की बगीची में आयोजित कवि गोष्ठी में भेरुलाल सोनी मनासा ने अपने काव्य पाठ का प्रारम्भ कृष्ण स्तुति से करते हुए कहा कि झूमा झटकी मे म्हारो मोतियाँ वालों हार टूट गयो./ इमे म्हारी कई गलती साँवरा जो तू रूठ ग्यो| इसके पश्चात् आपने जीवन की उलझनों पर प्रस्तुत कविता कुछ यूँ प्रस्तुत की - हमने भी लिखें हैं प्रेम गीत. पर बूढ़े हाथों मे गुलाब कौन देखता हैं/ हवाओं से महरूम रह जायेंगे वो घर जिनमे खिड़किया नहीं होती| कवि सम्मेलनों के आयोजनों में कवि धर्म भूलने पर आपने अपने मुक्तकों के माध्यम से तीखा व्यंग किया |
किशोर जेबरिया ने अपनी कविता के माध्यम से बीते दिनों को याद करते हुए कहा कि - यही कहीं बस यूहीं शुरू हुई थी जिंदगी/सर्दी गर्मी मे उन्ही खपरेलों से धुप का टुकड़ा घर मे आ जाता था / घरों को फूल पत्तीयो से सजा कर बना लेते थे बगीचा। धर्मेन्द्र शर्मा ‘सदा’ ने देशप्रेम पर आधारित अपनी कविता प्रस्तुत करते हुए अपनी रचना -उठ मुसाफिर जाग सुबह देखती हैं रास्ता/.अब चल पड़ो तुम राह पर तुम्हे वतन का वास्ता/ अंगार पर चल कर श्रंगार करना है तुम्हे देश का/ प्रस्तुत की | देश में नारी अपमान की बढ़ रही घटनाओं पर व्यथित धर्मेन्द्र शर्मा का कवि मन कहता है - सजल नेत्र द्रोपदी अब कृष्ण को निहारती / सुप्त हैं सब आर्यजन धन के इस बाजार मे अब कर्म हैं पुकारता | कैलाश चंद्र सेन ने सामाजिक विषमताओं पर अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए कहा कि - चार कंधे नसीब नही वह अपनी मां की लाश कंधो पर ढो रहा/ मै कैसे लिख दूँ विकास हो रहा हैं. संस्था के अध्यक्ष बाबूलाल गौड़ ने श्रीकृष्ण के जीवन दर्शन पर अपने विचार व्यक्त करने के पश्चात् अपनी कविता के माध्यम से कहा कि - है बहुत कुछ पास फिर भी कुछ भी नहीं हैं / यह जीवन अनिश्चित हैं ये माना/जितने भी हो मीठे पल सब धुंधला जाते हैं / बहुत दिन यारों ज़ब संवाद नहीं होता| कवि गोष्ठी का संचालन ओमप्रकाश चौधरी ने किया व आभार भारत जाजू ने व्यक्त किया | कवि गोष्ठी में मनोहरसिंह लोढ़ा, रघुनंदन पाराशर , विनोद शर्मा , नरेंद्र पोरवाल, डॉ. राजेंद्र जायसवाल , शरद पाटीदार इन्जिनियर एसोसिएशन अध्यक्ष श्री टांक , सत्येन्द्रसिंह राठोर, गणेश खंडेलवाल ,सहित बड़ी संख्या में सुधि श्रोता उपस्थित थे.