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प्रेम समर्पण के बिना परिवार अधूरा होता है-साध्वी प्रवृद्धि श्री जी मसा।

Neemuch headlines May 25, 2024, 4:34 pm Technology

पांच दिवसीय बालिका संस्कार शिविर मशाल तृतीया प्रवाहित।

नीमच। परिवार में किसी को भी दुःख हो उसके दर्द का अनुभव सभी को होना चाहिए। विनय व्यवहार परिवार में सभी सदस्यों का एक दूसरे के प्रति एक जैसा होना चाहिए। परिवार प्रेम समर्पण के बिना परिवार अधूरा होता है। यह बात साध्वी प्रवृद्धि श्री जी मसा ने कही ।वे श्री जैन श्वेतांबर भीडभंजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के तत्वाधान में दिगंबर जैन मांगलिक भवन में आयोजित पांच दिवसीय धार्मिक संस्कार प्रशिक्षण शिविर में धार्मिक प्रवचन सत्र के मध्य बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि करोड़ों का महल संपत्ति हो लेकिन उस परिवार में प्रेम विनय का सुख नहीं हो तो महल व करोड़ों का धन व्यर्थ होता है। परिवार में पांच सदस्यों के लिए एक सदस्य भोजन नहीं बना सकता हो। नौकर भोजन बनाता हो उसे परिवार में सच्चा प्रेम नहीं रह सकता। परिवार की एकता और बंधन का प्रमुख आधार प्रेम समर्पण त्याग होता है। जब भी विवाह के बाद बेटियांअपने ससुराल में जाए तो सास ससुर को माता-पिता देवर ननंद को भाई-बहन की तरह सम्मान दे तो वह घर स्वर्ग बन सकता है। टीवी एलसीडी स्क्रीन महंगी कार से प्रेम नहीं बढ़ता रिश्तेदार दूर होते हैं। धर्म शास्त्रों की नीति अध्ययन उत्तराध्ययन सूत्र के उपदेशों को जीवन में आत्मसात करें तो परिवार में प्रेम समर्पण बढ़ सकता है। एक कन्या की भांति है जिसे जन्म देकर पालन पोषण करते हैं लेकिन वह अंत में वह पराई हो जाती है। युवा वर्ग आधुनिक पश्चिमी संस्कृति के फेंटेसी का आनंद ले रहे हैं लेकिन घर का सच्चा सुख चोरी हो रहा है। परिवार में एक सदस्य बीमार हो तो उसका दुःख दर्द सभी को हो तो वही सच्चा सुखी परिवार कहलाता है। में और मोबाइल ही मेरा परिवार बन गया है चिंता का विषय है। हम कहां जा रहे हैं क्या कर रहे हैं। विवाह के बाद बेटी जिस घर में भी जाए तो ससुराल वाले यही कहे की बेटी लक्ष्मी के रूप में घर आई है। परिवार की सुख समृद्धि का कारण बने बिखराव का कारण नहीं बने। बेटी एक नहीं दो परिवार का नाम रोशन करती है इसलिए सोच समझकर परिवार को सुखी रखने का प्रयास करें। जन्म के साथ माता-पिता का आशीर्वाद मिलता है जो जीवन पर्यन्त तो उसके साथ रहता है। भाभी को मां बहन जैसा सम्मान देना चाहिए। जैसा व्यवहार हम अपने-अपने साथ चाहते हैं वैसा ही व्यवहार हम दूसरों के साथ करेंगे तो परिवार सुख समृद्धि का केंद्र बन सकता है। झुठी कल्पनाएं हमें सिर्फ दुख के गर्त में ही ले जाएगी। सुख कभी नहीं देगी। छोटे कपड़ों से हम स्मार्ट दिखते हैं यह स्टेटस हमें ले डूबेगा। भारतीय संस्कृति के अनुरूप सादगी युक्त परिधान से ही हमारा सच्चा व्यक्तित्व झलकता है। बेटियां ससुराल वालों को अपना बना ले या परिवार की बन जाए। तभी घर परिवार सुख समृद्धि से हो युक्त हो सकता है। परिवार में सच्चा प्रेम रखे दिखावा नहीं करें। क्योंकि बच्चे जैसा देखते हैं वैसा ही सीखते हैं इसलिए सभी के साथ अच्छा व्यवहार रखें। मां की आराधना का पर्व नवरात्रि गरबा रासअपनी सही दिशा से भटक रहा है इस पर हमें चिंतन करना होगा। उधर है नारी शक्ति का अवतार है लेकिन इसकी मर्यादा की भी एक सीमा होती है संसार का कोई भी रावण लक्ष्मण रेखा पार नहीं कर सकता जब तक कि सीता अपना कदम आगे नहीं बढ़ाती। नारी शक्ति को स्वतंत्रता मिलना चाहिए लेकिन एक सीमा तक ।जो बात हम बच्चों को प्रेम से समझा सकते हैं वह बात अन्य किसी तरीके से नहीं समझा सकते हैं। पश्चिमी संस्कृति सच्चा सुख नहीं तनाव देती है। समृद्धि श्री जी मसा ने 9तत्व व द्रव्य के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मोक्ष, जीव ,अजीव, आश्रव , अंबर, समवर, द्रव्य, जीवांश, जीवात्मा, धर्म, अधर्म, आकाश, काल समय आदि विषयों को आत्मसात कर आगे बढ़ना चाहिए। प्रशिक्षण शिविर में भीडभंजन पार्श्वनाथ ट्रस्ट के पारस लसोड ने कहा कि संस्कारों की शिक्षा से परिवार को जोड़ने का कार्य करना चाहिए। राजेंद्र बंबोरिया ने कहा कि संस्कार का पालन करें ‌अन्य बालिकाओं को भी सिखाएं जिससे यह धर्म संस्कार पूरे समाज में फैल सकेऔर परिवार को सुख समृद्धि से आगे बढ़ाएं भोजन में कभी झूठ नहीं छोड़ना चाहिए इस बात का सदैव ध्यान रखना चाहिए। राजमल छाजेड़ ने कहा कि संस्कार आचार और विचार में प्रदर्शित होना चाहिए। बालिकाएं संस्कार को सीख कर अपने जीवन में परिवर्तन लाएं और जीवन का विकास करें और परिवार को सुख समृद्ध बनाएं। तभी उनका शिविर में भाग लेना सार्थक साबित होगा। साध्वी शुद्धि प्रसन्ना श्रीजी, प्रवृधि श्री जी, समृद्धि ‌श्रीजी मसा.आदि ठाना की पावन निश्रा में मशाल तृतीय 23 से 27 मई तक 12 वर्ष से अधिक आयु वर्ग की बालिकाओं का धार्मिक संस्कार प्रशिक्षण शिविर दिगम्बर जैन मांगलिक भवन में आयोजित किया गया। ट्रस्ट अध्यक्ष अनिल नागौरी सचिव मनीष कोठारी, राकेश जैन आंचलिया, राजेंद्र बंबोरिया, राहुल पगारिया ने बताया कि शिविर में जैनीलिज्म, सदैव प्रसन्न रहने की कला, स्वयं का विकास, जीने की कला, आत्मरक्षा व योग प्रशिक्षण, विषय विशेषज्ञ द्वारा विशेष मार्गदर्शन के साथ प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है रहवासी प्रशिक्षण शिविर में राजस्थान के नगरों से व मध्य प्रदेश से बालिकाएं प्रशिक्षण लेने के लिए सहभागी बनी। इस धरा पर मानवता का होना संस्कारों से दिखाई देता है। शिविर में 80 से अधिक बालिकाएं प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है। संस्कार प्रशिक्षण शिविर दिनचर्या :- सुबह 5 बजे उठना, 5.15 बजे प्रभु दर्शन, 5:30 बजे योग, 6:10 बजे सेल्फ डिफेंस, 6.50 नवकारसी, 7:30 स्नात्र पूजन, 8 बजे कक्षा 9 बजे प्रवचन 10:30 बजे स्नात्र पूजन, 1:बजे खेल, 1:30 बजे कक्षा, 2:30 बजे भोजन, 3: बजे अतिथि उद्बोधन, 5:30 बजे प्रश्न मंच, 6 बजे भोजन, 7:30 बजे प्रतिक्रमण, 8:30 बजे खेल ,9:30 बजे रात्रि विश्राम।

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