उत्तरप्रदेश। अयोध्या धाम, वह धाम है, जिसकी स्थापना मनु ने सरयू नदी के तट पर की थी जो कि सप्तपुरी में से एक है। सप्तपुरी में प्रमुख रूप से अयोध्या, काशी, कांची, हरिद्वार, मथुरा, उज्जैयनी व द्वारका है अयोध्या जिसके सर्वप्रथम सम्राट: संपूर्ण विश्व के आराध्य मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के पिताश्री महाराजा दशरथ थे जिन्हें चक्रवर्ती सम्राट भी कहा जाता है। यही राम नगरी अयोध्या कौशल राज्य की राजधानी भी हुआ करती थी, जिसकी संपूर्ण विश्व में अपनी अनूठी पहचान थी, किंतु मुगलों एवं अंग्रेजों के शासनकाल में भारत को लूटने के साथ-साथ अयोध्या की पहचान को छति पहुंचाई गई, जिसमें प्रमुख रूप से श्रीराम की जन्मभूमि जिसे मुगल शासक बाबर के कार्यकाल में मीर बाकी के द्वारा ध्वस्त कर बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया जिसे पुनः पाने के लिए पांच सौ वर्षों के अधिक समय तक जबरदस्त संघर्ष हुआ, जिसमें न जाने कितने राम भक्तों ने अपना बलिदान दिया और आख़िरकार जीत राम भक्तों की हुई।
देश की सबसे बड़ी अदालत से श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण का ऐतिहासिक फैसला आया और अयोध्या फिर से विश्व में चर्चा में आ गई अयोध्या में प्रभु श्रीराम का भव्य-दिव्य मंदिर का निर्माण तीव्र गति के साथ शुरू हो गया और वर्ष 2024 में मकर संक्रांति के उपरांत 22 जनवरी को राम मंदिर के भूतल का शुभारंभ प्रधानमंत्री मोदी के करकमलों द्वारा होने जा रहा है। केंद्र व राज्य सरकार अयोध्या में निर्मित हो रहे राम मंदिर की भव्यता - दिव्यता के लिए छोटी सी छोटी बारीकी की भी निगरानी कर रही है जिससे कि राम मंदिर की भव्यता व दिव्यता इस प्रकार की हो कि अयोध्या आने वाले जो भी राम भक्त व दर्शनार्थी मंदिर में जब प्रवेश करे तो उनकी दृष्टि जहां पड़े वहीं एकटक रुकी रहे। इसकी सुंदरता देखकर यहां आपको जानकारी दे दें कि राम मंदिर गर्भगृह से लेकर शिखर तक स्वर्ण जड़ित रहेगा।
कहां कहां स्वर्ण जड़ित होगा, इसके बारे में भी हम आपको जानकारी देंगे, किन्तु उससे पहले आपको बता दें कि इसी माह सात अक्टूबर को अयोध्या के मणिराम छावनी में बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की बैठक में 18 प्रस्तावों पर चर्चा हुई, जिसमें से 14वां प्रस्ताव मंदिर में कहां-कहां स्वर्ण जड़ित किए जाने हैं, जिससे कि मंदिर की भव्यता और दिव्यता अनूठी हो, इस पर सभी की सहमति भी मिल गई है, जिसकी जानकारी तीर्थ ट्रस्ट के न्यासी व विहिप के बिहार इकाई के प्रमुख कामेश्वर चौपाल ने दी। उन्होंने बताया कि गर्भगृह सहित भूतल के 18 दरवाजों पर स्वर्ण की पत्तियां जड़ीं जाएंगी, जिसके लिए महाराष्ट्र, मुंबई के बड़े उद्योगपति को जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्होंने बताया कि राम मंदिर के गर्भगृह की दीवारों, चौखट दरवाज़े एवं राम जाणत नहपाठ कहा जा रहा है, सभी पर स्वर्ण जड़ा जाएगा। साथ ही मंदिर के 161 फुट ऊंचे शिखर को भी स्वर्ण से जड़ा जाएगा। इसे राम मंदिर निर्माण एजेंसी लार्सन एंड टूबो के परियोजना निदेशक वीके मेहता ने प्रमाणित भी किया है, जिनकी देखरेख में मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है।
अब आप ही बताइए कि जिस राम मंदिर को भव्य-दिव्य बनाने में केंद्र व उत्तर प्रदेश की सरकार स्वयं लगी है जिसका नक्शा व डिजाइन इतनी अनोखी हो उस पर से इतनी बेमिसाल कारीगरी व सोने की परत जड़ी हो तो यह राम मंदिर क्या उत्तर प्रदेश का गोल्न मन नहीं कहलाएगा। रामलला को भेंट व दान में मिले सोने-चांदी के आभूषणों की बनाई जाएगी ईंट कामेश्वर चौपाल ने बताया कि रामलला को भेंट एवं दान में मिले सोने व चांदी के आभूषणों, जिसमे छोटे व बड़े सभी प्रकार के आभूषण हैं, जिनकी गिनती कर सहेजना और सुरक्षित रखना मुश्किल होगा, जिसे सुरक्षित रखने के लिए इन आभूषणो को ईंट का स्वरूप दिया जाएगा, जिसके लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिटिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड को अनुबंधित किया है।