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मंडी से मनाली तक सबकुछ तबाह, लेकिन अटल रहे महादेव, 400 साल प्राचीन पंजवक्त्र महादेव की एक ईंट भी नहीं हिली बाढ़ में भी 'अटल महादेव'

Neemuch headlines July 11, 2023, 2:43 pm Technology

हिमाचल में भारी बारिश की तबाही से सबकुछ तहस नहस होता नजर आ रहा है। मंडी से लेकर मनाली तक कई घर, वाहन डूब गए। सड़कें बह गई और पुल कह गए। ब्यास नदी में कई इमारतें स्वाहा हो गई। कई भारी वाहन बहकर चले गए। लेकिन हिमाचल के मंडी में एक ऐसा महादेव मंदिर भी है जो भयावह बाद में भी 'अटल' है

यानी भयंकर और तेज पानी के बहाव में भी यह मंदिर टस से मस नहीं हुआ है। लोग इसे आस्था के साथ ही आर्किटेक्ट के बेहतरीन नमूने के तौर पर भी देख रहे हैं। 400 साल पुराना पंजवक्त्र महादेव मंदिर बिल्कुल अटल खड़ा है। वीडियो में देखा जा सकता है कि मंदिर के चारों तरफ पानी बह रहा है, लेकिन मंदिर की इमारत बिल्कुल अडिग है। इसके साथ ही करीब 100 साल पुराना विक्टोरिया पुल भी सुरक्षित है। बमा दें कि हिमाचाल में कई दफे बाढ़ के हालात बनते हैं, लेकिन इन्हें बीते कई साल से कोई नुकसान नहीं पहुंचा है।

पंजवक्त्र मंदिर के पास का पुल भी बह गया है, जबकि मंदिर जस का तस खड़ा है। सोशल मीडिया पर लोग लगातार पंजबका मंदिर की तस्वीर शेयर कर रहे हैं और लिख रहे हैं सारा आधुनिक निर्माण धराशाई हो गया है, जबकि यह मंदिर टिका हुआ है। अजबर सेन ने की थी स्थापना बता दें कि मंडी में भगवान शिव का प्रसिद्ध पंचवक्त्र मंदिर है। व्यास किनारे बना मंदिर हर मानसून सीजन में जलमग्न हो जाता है। हालांकि मंदिर पूरी तरह नहीं डूबता है। बता दें कि मंडी में भगवान शिव का प्रसिद्ध पंचवक्त्र मंदिर है व्यास किनारे बना मंदिर हर मानसून सीजन में जलमग्न हो जाता है।

हालांकि, मंदिर पूरी तरह नहीं डूबता है। माना जाता है कि शिव के पंचवक्त्र पानी पांच मुख वाले इस मंदिर की स्थापना मंडी के शासक अजबर सेन ने की थी मनमोहन की पुस्तक 'हिस्ट्री ऑफ द मंडी स्टेट' में जिक्र है कि 1717 में व्यास में आई बाढ़ में इस मंदिर को नुकसान पहुंचा और पंचमुखी शिव प्रतिमा बह गई। फिर सिद्ध सेन (शासनकाल 1684 से 1727) ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाकर नई प्रतिमा प्रतिष्ठित की, लेकिन पुरानी प्रतिमा का क्या हुआ आज तक रहस्य है। मान्यता है कि मंडी से कुछ किलोमीटर दूर ब्यास नदी के किनारे जोगिंद्र नगर का लांगणा क्षेत्र में पंचमुखी शिव मंदिर है। लोगों का कहना है कि यह प्रतिमा ब्यास नदी में बहकर आई थी और पेड़ की जड़ में फंसी हुई थी। लोग बताते हैं कि यह 150-200 साल पुरानी बात है। समृद्धशाली है इतिहास शिव की नगरी छोटी काशी मंडी में निर्मित प्राचीन मंदिर एक समृद्धशाली इतिहास के साक्षी है। मंदिर में स्थापित पंचमुखी शिव की प्रतिमा के कारण इसे पंचवक्त्र नाम दिया गया है जो की गुमनाम मूर्तिकार की कला का बेजोड़ नमूना है।

बता दें कि मंडी जिले में ब्यास नदी पर पड़ने वाले कई पुल ध्वस्त हो गए है। पंडोह में 100 साल पुराना लाल पुल टूट गया है। औट में 50 साल पुराना पुल व्यास में बह गई है। इसी तरह कोटली के कून तर में भी पुल टूटा है। मंडी में पंजवक्त्र मंदिर और 100 साल पुराना विक्टोरिया पुल अडिग है। इन्हें बीते कई साल से कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। पंजवक्त्र मंदिर के पास का पुल भी बह गया है। अब सोशल मीडिया में यह वीडियो शेयर किया जा रहा है. जिसमें पंजवक्त्र मंदिर जस का तस पानी के बहाव में भी खड़ा है। इसे आस्था से और मंदिर के बेहतरीन आर्किटेक्ट से भी जोड़कर देखा जा रहा है।

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