सेना दिवस: 15 जनवरी 1949, ये तारीख़ भारतीय सेना के लिए क्यों है अहम

Neemuch Headlines January 15, 2023, 8:53 am Technology

भारत में हर साल 15 जनवरी को सेना दिवस मनाया जाता है। इस साल भारत अपना 75वां सेना दिवस मना रहा है। भारत में इस दिन जन मनाने की खास वजह है।

ये दिन भारत के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक की याद दिलाता है। 15 जनवरी, 1949 को करीब 200 साल के ब्रिटिश शासन के बाद पहली बार किसी भारतीय को भारतीय सेना की बागडोर सौंपी गई थी।

इस दिन भारतीय सैनिकों की उपलब्धियाँ, देश सेवा, अप्रतिम योगदान और त्याग को सम्मानित किया जाता है। सेना दिवस मनाने की वजह 15 जनवरी, 1949 को कमांडर-इन-चीफ का पद पहली बार ब्रिटिश सैन्य अधिकारी से भारतीय सैन्य अधिकारी को मिला था कमांडर-इन-चीफ तीन सेनाओं के प्रमुख को कहा जाता है। इस समय भारत में कमांडर-इन-चीफ भारत के राष्ट्रपति हैं। जो तीनों सेनाओं के प्रमुख हैं। तब फील्ड मार्शल केएम करियप्पा ने जनरल सर फ्रांसिस बुचर से भारतीय सेना के पहले भारतीय कमांडर-इन- चीफ़ के तौर पर पदभार ग्रहण किया था। फ्रांसिस बुचर भारतीय सेना में कमांडर-इन-चीफ का पद धारण करने वाले अंतिम ब्रिटिश व्यक्ति थे। फील्ड मार्शल केएम करियप्पा उस समय लेफ्टिनेंट जनरल थे उस समय करियप्पा की उम्र थी 49 साल केएम करियप्पा ने 'जय हिंद' का नारा अपनाया जिसका मतलब है।' भारत की जीत'।

भारतीय सेना का गठन ईस्ट इंडिया कंपनी की सेनाओं से हुआ जो बाद में 'ब्रिटिश भारतीय सेना और स्वतंत्रता के बाद, भारतीय सेना बन गई। भारतीय सेना को विश्व की चौथी सबसे मजबूत सेना माना जाता है। फील्ड मार्शल केएम करियप्पा समय करियप्पा की उम्र थी 49 साल केएम करियप्पा ने 'जय हिंद' का नारा अपनाया जिसका मतलब है 'भारत की जीत'। भारतीय सेना का गठन ईस्ट इंडिया कंपनी की सेनाओं से हुआ जो बाद में 'ब्रिटिश भारतीय सेना और स्वतंत्रता के बाद, भारतीय सेना बन गई भारतीय सेना को विश्व की चौथी सबसे मजबूत सेना माना जाता है। फील्ड मार्शल केएम करियप्पा भारतीय सेना में फील्ड मार्शल की पांच सितारा रैंक वाले दो ही अधिकारी रहे हैं। पहले हैं केएम करियप्पा और दूसरे अधिकारी फील्ड मार्शल सैम मानेकश है। उनको 'किपर' के नाम से भी पुकारा जाता है। कहा जाता है कि जब करियप्पा फतेहगढ़ में तैनात थे तो एक ब्रिटिश अफसर की पत्नी को उनका नाम लेने में बहुत दिक्कत होती थी इसलिए उन्होंने उन्हें 'किपर पुकारना शुरू कर दिया। केएम करियप्पा का जन्म 28 जनवरी 1900 को कर्नाटक में हुआ था।

पहले विश्वयुद्ध (1914-1918) के दौरान उन्हें सैन्य प्रशिक्षण मिला था। 1942 में करियप्पा लेफ्टिनेंट कर्नल का पद पाने वाले पहले भारतीय अफसर बने। 1944 में उन्हें ब्रिगेडियर बनाया गया और बबू फ्रंटियर ब्रिगेड के कमांडर के तौर पर तैनात किया गया।

15 जनवरी 1986 को उन्हें फील्ड मार्शल बनाने की घोषणा की गई। तब उनकी उम्र 86 साल के करीब थी। फील्ड मार्शल करियप्पा ने 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में पश्चिमी कमान संभाली थी। लेह को भारत का हिस्सा बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। नवंबर 1947 में करियप्पा को सेना की पूर्वी कमान का प्रमुख बना कर रांची में तैनात किया गया था लेकिन दो महीने के अंदर जैसे ही कश्मीर में हालत खराब हुई, उन्हें लेफ्टिनेंट जनरल डडली रसेल के स्थान पर दिल्ली और पूर्वी पंजाब का जीओसी इन चीफ बनाया गया। उन्होंने ही इस कमान का नाम पश्चिमी कमान रखा। उन्होंने तुरंत कलवंत सिंह के स्थान पर जनरल थिमैया को जम्मू-कश्मीर फोर्स का प्रमुख नियुक्त किया। लेह जाने वाली सड़क तब तक नहीं खोली जा सकती थीं, जब तक भारतीय सेना का जोजीला, ड्रास और कारगिल पर कब्ज़ा नहीं हो जाता। ऊपर के आदेशों की अवहेलना करते हुए करियप्पा ने वही किया। अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया होता तो लेह भारत का हिस्सा नहीं बना होता उनकी बनाई गई योजना के तहत भारतीय सेना ने पहले नौशेरा और झगर पर कब्जा किया और फिर जोजीला, ड्रास और कारगिल से भी हमलावरों को पीछे धकेल दिया। केएम करियप्पा 1953 में सेवानिवृत्त हो गए थे और 94 साल की उम्र में साल 1993 में उनका निधन हुआ। इस बार सेना दिवस पर क्या होगा इस बार सेना दिवस 15 जनवरी को कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में आयोजित किया जाएगा ऐसा पहली बार है कि सेना दिवस का आयोजन राजधानी दिल्ली से बाहर हो रहा है। हर साल सेना दिवस का दिल्ली छावनी के करियप्पा परेड ग्राउंड में आयोजन किया जाता है। राष्ट्रीय महत्व के आयोजनों को दिल्ली से बाहर आयोजित करने का फ़ैसला लिया गया था ताकि इनकी पहुंच ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच हो और इनमें भागीदारी बढ़ सके। रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा, "राष्ट्र के लिए दक्षिण भारत के लोगों की वीरता, बलिदान और सेवाओं की पहचान देने के लिए इस ऐतिहासिक कार्यक्रम का आयोजन बेंगलुरु में किया जा रहा है साथ ही यह फील्ड मार्शल केएम करियप्पा को श्रद्धांजलि है क्योंकि वो कर्नाटक से संबंध रखते हैं।"

15 जनवरी को आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे सेना के अभियानों में जान गंवाने वाले जवानों को बेंगलुरु में श्रद्धांजलि देंगे और सेना दिवस परेड में उपस्थित होंगे। इस परेड में भारतीय सेना की ताकत और क्षमता का प्रदर्शन होगा। साथ ही ये भी दिखाया जाएगा कि भारतीय सेना ने भविष्य के लिए तैयार होने और बदलती तकनीक के लिहाज से क्या प्रयास किए हैं। इसके अलावा मोटरसाइकिल पर कौशल प्रदर्शन, पैरा मोटर्स, कॉम्बैट फ्री फॉल जैसी रोमांच से भरी गतिविधियां भी होंगी। इस दौरान सेना प्रमुख सेना के जवानों और इकाइयों की वीरता और सराहनीय सेवा के लिए वीरता पुरस्कार और यूनिट प्रशस्ति पत्र भी देंगे।

सेना दिवस की थीम:-

 हर बार सेना दिवस पर कोई न कोर्ड थीम रखी जाती है। इस बार की थीम है 'रक्तदान करें जीवन बचाए'। इसके तहत दिसंबर से ही रक्तदान शिविर का आयोजन किया जा रहा है। महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना, तमिलनाडु, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में भारतीय सेना की टुकड़ियों ने 24 दिसंबर, 2022 को रक्तदान अभियान चलाया। पीआईबी (पत्र सूचना कार्यालय) के मुताबिक इस दौरान 7500 यूनिट रक्त इकट्ठा किया गया और 75 हजार स्वयंसेवकों का एक डेटा बैंक भी तैयार किया गया। बीते वर्ष सेना दिवस की थीम 'भविष्य के साथ प्रगति में थी जिसका उद्देश्य आधुनिक युद्ध में विशिष्ट और विनाशकारी तकनीक की बढ़ती भूमिका को रेखांकित करना था। साथ ही भारतीय सेना के सामने मौजूद चुनौतियों और उससे निपटने के प्रयासों को दर्शाना था।

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