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मानव अपने दुख से दुखी नहीं है वह दूसरों के सुख से दुखी हैं- देवकन्या सुश्री सुगणा बाईसा

राकेश चारण December 15, 2022, 7:56 pm Technology

डीकेन। किसी एक पर भरोसा श्रद्धा एवं विश्वास रखकर समर्पण का भाव नहीं आएगा तब तक समझ लेना भक्ति आना प्रारंभ होगी उदाहरण स्वरूप एक बार भक्तों ने परमात्मा से कहा कि परमात्मा सदैव मेरे रहो तो परमात्मा ने कहा जब तू धरती पर चलेगा तो चार पैर नजर आएंगे समझ जाना मैं तेरे साथ हूं दो पैर तेरे वह दो पेर मेरे रहेंगे इंसान का वक्त बोलता है तो कोई नहीं बोलता है जब बुरा समय आता है तो परिवार इष्ट मित्र सभी साथ छोड़ देते हैं जब वक्त में बुरा समय आया तो वह परमात्मा को कोसने लगा रोने लगा कि तूने तो कहा था कि हर समय तेरे साथ रहूंगा धरती पर पैर देखे मैंने तो दो पैर ही नजर आए परमात्मा ने कहा संकट में तेरी हालत बहुत दायनीय हो गई थी तुझको मैंने गोदी में उठा कर रखा है इसलिए तो पैर ही हैं मानव जीवन में सदैव प्रयास लगातार करते रहो ताकि भक्ति होती रहे मानव को सामने वाले के अवगुण नहीं देखना चाहिए अपने स्वयं के अंदर झांक कर देखें कि अपन क्या है

आज के समय में मानव अपने दुख से दुखी नहीं है वह दूसरों के सुख से दुखी हैं जमाने की परवाह मत करो आप सदैव सभी Raju सुखी मय जीवन की कामना का भाव मन में रखो जीवन में कभी भी किसी का बुरा मत सोचो कोई आपको भला बुरा कहे तो उसे आप नजरअंदाज कर अनदेखा कर दो साथ ही कोई भी कार्य करो तो बड़े बुजुर्गों एवं माता-पिता की सलाह लेकर कार्य किया करो आपके पास जो ज्ञान है वह किताबों का ज्ञान है और माता पिता के पास जो ज्ञान हैं वह जिंदगी का अनुभव है आपने सुंदरकांड का उदाहरण देकर कहा कि सुंदरकांड सुंदर क्यों है क्योंकि हनुमान जी ने लंका दहन की तो राम जी की सेना में सबसे बुजुर्ग जामवंत जी थे उनसे सलाह लेकर लंका कांड किया इसलिए सुंदरकांड नाम पड़ा उपरोक्त विचार नगर के वार्ड क्रमांक 1 ब्रह्मपुरी में देवनारायण समिति के तत्वाधान में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन व्यासपीठ से देवकन्या सुश्री सुगणा बाईसा ने प्रवचन पंडाल में उपस्थित श्रोताओं के समक्ष व्यक्त कर कहा कि अगर जीवन में बड़ों की सलाह लेकर जो भी कार्य करोगे वह कार्य सफल होगा आपने कहा कि जिस घर में सास बहू रोज झगड़ती हो उस घर में माता लक्ष्मी नहीं आती है, मानव मात मैं देवता स्वरूप देखकर उसका सम्मान करो अपमान किसी जीव का मत करो आप अपनी संतानों को ज्ञानी भले ही मत बनाओ मगर उन्हें भक्त तो बनाओ जीवन सरलता पूर्वक जीवो परमात्मा किसी का उधार नहीं रखता वह ब्याज सहित चुकाता है उदाहरण स्वरूप रामायण में केवट ने राम को गंगा पार उतारा तो उत्तराही नहीं ली उसने कहा आपको मैंने गंगा पार किया मैं आपके द्वारा हूं तो मुझे भव सागर पार कर देना बराबर हो जाएंगे वही महाभारत में कृष्ण की उंगली कटी तो साड़ी का पल्ला फार्ड कर बांदी थी तो समय आने पर कृष्ण ने भी द्रोपदी की लाज रखी कहने का तात्पर्य यह है कि परमात्मा की दुकान में सभी का खाता है कथा के प्रवचन पंडाल में वही आते हैं जो बांके बिहारी के नाम से पागल होते हैं जिसको भक्ति का रंग चढ़ा हो वही लोग आते हैं जो व्यक्ति अपनी सारी इंद्रियों को वश में कर लेवे इसी का नाम गोपी है गोपी भावना का नाम है कन्हैया एक है गोपियां अनेक है धीरे-धीरे कृष्ण बड़े हुए और कंस को पता चला कि मेरे को मारने वाला वासुदेव जी का पुत्र ही है तो उसको मारने के लिए राजा कंस ने बकासुर जैसे अनेक राक्षस भेजे टॉप कंस ने सबका वध कर डाला कंस ने सोचा कि सेना लेकर में श्रमं मारने जाऊं तो सेनापति ने कहा महाराज आप छोटे से बालक को मारने सेना लेकर मारने जाएंगे तो ठीक नहीं लगेगा आप यज्ञ का आयोजन करो और कृष्ण बलराम को अतिथि के रुप में बुलाओ राजा कंस ने सेनापति की सलाह के अनुसार अक्रूर जी को आमंत्रण लेकर भेजा अक्रूर जी ने नन्दबाबा को जाकर बोला हमारे महाराज ने यज्ञ का आयोजन रखा है जिसमें कृष्ण और बलराम को अतिथि के रुप में बुलाया हैं जिस प्रकार राजा कंस ने भी सेनापति की सलाह से कार्य किया ठीक उसी प्रकार आप भी अपने घर में बड़े बुजुर्गों को माता-पिता की सलाह से कार्य किया करो वह कार्य सफल होकर रहेगा श्री भागवत कथा प्रेम करना सिखाती है परिवार में रोक तो के लिए माता-पिता का होना आवश्यक है पूर्व जमाने में कोई भी संसाधन नहीं थे तो माता-पिता अपनी संतानों को अपने कंधे पर बिठाकर बाजार घूम आते थे आज के समय में तो सभी के पास घूमने फिरने के लिए गाड़ियां हैं खाने-पीने पहनने के लिए संसाधन उपलब्ध हैं इतना सारा होने के बाद भी माता-पिता को संताने अलग कर देती है गंभीर चिंतन का विषय है ऐसे परिवारों का जीवन नर्क के समान है मां का दिल बहुत बड़ा होता है सदैव सभी को बांट कर खाती है स्वयं समय आने पर भूखी रहती है माता पिता की समर्पण भाव से सेवा कर पुण्य कमाओ जिवन सफल हो जाएगा माता पिता हमारे जीवन की जड़ हैं जो हमें हरा भरा रखती हैं सुंदर प्रस्तुति भी दी हैं हर बात को तुम भूलो भले ही मां बाप को मत भूलना उपकार है इनके लाखों इस बात को मत भूलना कथा के अंत में भगवान कृष्ण एवं रुक्मणी का विवाह समारोह धूमधाम के साथ मनाया उपस्थित भक्तों ने भी पूजा-अर्चना कर धर्म लाभ लिया।

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