ऋषि पंचमी पर पुरुष और महिलाएं सप्त ऋषियों की पूजा करती हैं और उनके आशीर्वाद प्राप्त करती हैं. इन सप्त ऋषियों के नाम कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ है.
इस साल ऋषि पंचमी का व्रत गुरुवार, 01 सितंबर को रखा जाएगा. गया है
कैसे रखें ऋषि पंचमी का व्रत? देखें पूजन विधि और कथा:-
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी मनाई जाती है. शास्त्रों के अनुसार, इस दिन अनजाने में हुई गलतियों से प्रायश्चित के लिए उपवास किया जाता है. ऋषि पंचमी पर पुरुष और महिलाएं सप्त ऋषियों की पूजा करती हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करती हैं. इन सप्त ऋषियों के नाम कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ है. इस साल ऋषि पंचमी का व्रत गुरुवार, 01 सितंबर को रखा जाएगा.गया है
ऋषि पंचमी पर कैसे करें व्रत:-
ऋषि पंचमी के दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर लें और साफ-सुथरे हल्के पीले रंग के वस्त्र धारण करें. एक लकड़ी की चौकी पर सप्त ऋषियों की फोटो या विग्रह लगाएं और उनके सामने जल भरकर कलश रखें. सप्त ऋषि को धूप-दीपक दिखाकर पीले फल-फूल और मिठाई अर्पित करें. अब सप्त ऋषियों से अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगें और दूसरों की मदद करने का संकल्प लें. व्रत कथा सुनने के बाद आरती करें और प्रसाद खिलाएं. अपने बड़े बुजुर्गों के चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें. ऋषि पंचमी की कथा पौराणिक कथा के अनुसार, विदर्भ में उत्तक नाम का ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ निवास किया करता था. दोनों की दो संतानें थी- एक पुत्र और एक पुत्री. ब्राह्मण ने योग्य वर देखकर अपनी बेटी का विवाह उसके साथ कर दिया है. लेकिन कुछ दिन बाद ही उसकी अकाल मृत्यु हो गई. इसके बाद उसकी बेसहारा पत्नी अपने मायके वापस लौट आई. एक दिन जब उत्तक की विधवा पुत्री सो रही थी, तब मां को उसके शरीर में कीड़े उत्पन्न होते नजर आए. ये देख वो घबरा गई और फौरन इसकी सूचना अपने पति को दी. उत्तक ब्राह्मण ने ध्यान लगाने के बाद बताया कि पूर्वजन्म में उसकी पुत्री ब्राह्मण की पुत्री थी. लेकिन माहवारी के दौरान उससे एक बड़ी गलती हो गई थी. उसने माहवारी की अवस्था में बर्तनों को छू लिया था और ऋषि पंचमी का व्रत भी नहीं किया था. इस वजह से ही उसकी ये दशा हुई है. तब पिता के कहने पर पुत्री ने ऋषि पंचमी का व्रत किया और स्वस्थ हो पाई.