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300 वर्षो बाद आज गणेश चतुर्थी पर बना विशेष संयोग, जानिये पूजा विधि- शुभमुहूर्त, भगवान की कैसी मूर्ति की करें स्थापना?

Neemuch Headlines August 31, 2022, 10:19 am Technology

प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेशजी का श्री सिद्धि विनायक नामधारी जन्मदिन भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। गणेश ज्ञान और बुद्धि के ऐसे देवता हैं,जिनकी उपासना से जीवन में सुख-समृद्धि, सफलता, मान-सम्मान और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। वे विघ्नविनाशक हैं,उनके स्मरण मात्र से भक्तों के कार्यों में आ रही विघ्न-बाधाएं सहजता से दूर हो जाती हैं। इस दिन पूजन के लिए घर या दुकान में गणेश की प्रतिमा लाने से पूर्व मन में यह बात आती है कि गणेशजी की सूंड किस तरफ होनी चाहिए ?

गणेशजी की तस्वीरों और मूर्तियों में उनकी सूंड दाई या कुछ में बाई ओर होती है। सीधी सूंड वाले भगवान गणेश दुर्लभ हैं। इनकी एक तरफ मुड़ी हुई सूंड के कारण ही गणेश जी को वक्रतुण्ड कहा जाता है। गणपति जी की बांयी सूंड में चंद्रमा का और दांयी में सूर्य का प्रभाव माना गया है। गणेश जी की सीधी सूंड तीनों तरफ से दिखती है। ऐसे गणेशजी यहां लगाएं दांयी ओर घूमी हुई सूंड वाले गणेशजी हठी होते हैं आमतौर पर एसी प्रतिमा घर और ऑफिस में नहीं रखी जाती। इनको स्थापित करने पर कई धार्मिक रीतियों का पालन करना ज़रूरी होता है। ऐसी प्रतिमा को देवालयों में स्थापित करके वहीं उनकी पूजा की जाती है ।

ऐसे गणेशजी का पूजन विघ्न-विनाश, शत्रु पराजय, विजय प्राप्ति, उग्र तथा शक्ति प्रदर्शन जैसे कार्यों के लिए फलदायी माना जाता है। दायीं ओर घूमी हुई सूंड वाले गणेशजी सिद्धिविनायक कहलाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इनके दर्शन से हर कार्य सिद्ध हो जाता है। किसी भी विशेष कार्य के लिए कहीं जाते समय यदि इनके दर्शन करें तो वह कार्य सफल होता है व शुभ फल प्राप्त होता है।

बांयी सूंड वाले गणेशजी :-

सिंहासन पर बैठे हुए गणेशजी की प्रतिमा जिनकी सूंड बांयी ओर मुड़ी होती है, पूजाघर में रखी जानी चाहिए। इनकी पूजा से घर में सुख-शांति व समृद्धि आती है। ऐसी मूर्ति की पूजा स्थायी कार्यों के लिए की जाती है। जैसे शिक्षा, धन प्राप्ति, व्यवसाय, उन्नति, संतान सुख, विवाह, सृजन कार्य और पारिवारिक खुशहाली। घर के मुख्य द्वार पर भी गणेशजी की मूर्ति या तस्वीर लगाना शुभ होता है पर यहां भी बायीं ओर घूमी हुई सूंड वाले गणेशजी की स्थापना करना चाहिए। बायीं ओर घूमी हुई सूंड वाले गणेशजी विघ्नविनाशक कहलाते हैं। इन्हें घर में मुख्य द्वार पर लगाने के पीछे तर्क है कि जब हम कहीं बाहर जाते हैं तो कई प्रकार की बलाएं, विपदाएं या नेगेटिव एनर्जी हमारे साथ आ जाती है। घर में प्रवेश करने से पहले जब हम विघ्नविनाशक गणेशजी के दर्शन करते हैं तो इसके प्रभाव से यह सभी नेगेटिव एनर्जी वहीं रूक जाती है व हमारे साथ घर में प्रवेश नहीं कर पाती है। इससे घर में पॉजीटिव एनर्जी रहती है व वास्तु दोषों का नाश होता है।

300 साल बाद गणेश चतुर्थी पर दुर्लभ संयोग :-

आज से भगवान गणेश की उपासना और साधना का महापर्व गणेशोत्सव प्रारंभ हो गया है। यह 09 सितंबर तक चलेगा। इस बार की भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी बहुत ही खास और शुभ फल देने वाली है। 300 साल बाद गणेश चतुर्थी पर दुर्लभ संयोग बना रहा है। दरअसल इस बार गणेश चतुर्थी तिथि पर वही शुभ योग और संयोग बना हुआ है जो गणेशजी के जन्म के समय बना था। भगवान गणेश का जन्म बुधवार के दिन, चतुर्थी तिथि, चित्रा नक्षत्र और मध्याह्र काल में हुआ था। इसके अलावा 31 अगस्त से 9 सितंबर तक गणेश उत्सव के बीच कई शुभ और मंगलकारी शुभ योग बनेगा।

गणपति आराधना के लिए पूजा सामग्री :-

पीलावस्त्र, चंदन, पंचामृत, मौली, कलश, मेवा, तांबे का, लोटा, पान के पत्ते, हल्दी, दूर्वा, जनेऊ, माला-फूल, इत्र, दीपक, धी, अक्षत, मोदक, फल।

आज गणेश स्थापना और पूजा का शुभ मुहूर्त :-

आज गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की स्थापना और पूजा के लिए कई शुभ मुहूर्त है। सबसे अच्छा शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 20 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 20 मिनट का है। दोपहर में भगवान गणेश की पूजा और उपासना के लिए सबसे सर्वश्रेष्ठ समय होता है। इसलिए दोपहर के समय ही गणेश मूर्ति की स्थापना और पूजा करनी चाहिए।

अगर किसी कारण से ऐसे संभव न हो तो दिन के शुभ लग्न और चौघड़िया मुहू्र्त में भगवान गणेश की स्थापना कर सकते हैं।

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