हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सुहागिन महिलाओं के लिए हरतालिका तीज का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। यह व्रत 30 अगस्त को रखा जाएगा।
महिलाएं निराहार रहकर शाम के समय स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण कर मिट्टी की प्रतिमा बनाकर भगवान शिव एवं माता पार्वती का पूजन करेंगी। महिलाएं यह व्रत पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं। इस व्रत को काफी कठिन व्रतों में से एक माना गया है। काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि मान्यता है कि देवी पार्वती ने इस व्रत की शुरुआत की थी। सुहाग की सारी वस्तुएं माता पार्वती को चढ़ाने का विधान इस व्रत में है। हरतालिका तीज का व्रत बहुत कठिन माना जाता है। इस दिन व्रतधारी को अन्न और जल का त्याग करना पड़ता है।
तीज मुहूर्त:-
29 अगस्त को शाम 3 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगी, जिसका समापन अगले दिन 30 अगस्त को 3 बजकर 34 मिनट पर होगा।
सुबह की पूजा का शुभ मुहूर्त 9 बजकर 33 मिनट से 11 बजकर 05 मिनट तक है।
वहीं प्रदोष काल पूजा का मुहूर्त 30 अगस्त को 6 बजकर 34 मिनट से 8 बजकर 50 मिनट तक रहेगा।
व्रत पूजा विधि:-
हरतालिका पूजन के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा हाथों से बनाएं। पूजा स्थल को फूलों से सजाकर एक चौकी रखें और उस पर केले के पत्ते रखकर भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद देवताओं का आह्वान कर भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का षोडशोपचार पूजन करें। सुहाग की सारी वस्तु रखकर माता पार्वती को चढ़ाना इस व्रत की मुख्य परंपरा है। इसमें शिव जी को धोती और अंगोछा चढ़ाया जाता है। बाद में इसे दान देना चाहिए। इस प्रकार पूजन के बाद कथा सुनें और रात्रि जागरण करें। आरती के बाद सुबह माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं व ऋतु फल-मिष्ठान आदि का भोग लगाकर व्रत खोलें।
सुहाग की सामग्री:-
सुहाग की पिटारी का विशेष महत्व है, इसमें कुमकुम, मेहंदी, बिंदी, सिंदूर, बिछिया, काजल, चूड़ी, कंघी, महावर