रतनगढ़। कुल की मर्यादा और पिता के वचन के पालन के लिये बडे होने पर भी छोटे भाई के लिये समस्त सुख वैभव का त्याग करने की प्रेरणा हमे मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम से एवं सास,ससुर, पति व परिवार की सेवा करने की प्रेरणा हमें माता सीता से मिलती है उक्त आशय के विचार श्री गोरेश्वर महादेव में चल रही नो दिवसीय श्रीराम कथा के सातवें दिन व्यास पीठ पर विराजित संत श्री केदार जी महाराज ने अपने श्री मुख से बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालु भक्तों के बीच व्यक्त किए। संत श्री ने प्रभु श्री राम का निषादराज एवं केवट के साथ नाव में बैठकर गंगा नदी को पार करने के वृतांत को बहुत ही भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया। संत श्री ने आगे बताया कि भगवान तो भक्तों के भाव के भूखे हैं प्रेम के वशीभूत होकर कर्मा बाई का खिचड़ा,तो श्री कृष्ण ने गरीब सुदामा के चावल खाए। भक्त और भगवान में कोई भेद नहीं अगर भक्त नहीं होते तो भगवान नहीं होते। कथा के दौरान बताया कि मन बड़ा चंचल होता है।अंत समय मे धन,भवन, दौलत, मोह, माया,एश्वर्य सब धरा का धरा रह जाएगा केवल आपके सद्कर्म व भजन साथ जाएगें। इसलिए समय रहते भगवान का भजन, श्रवण, दान,पुण्य अवश्य करना चाहिए।संत श्री ने 'जब तेरी मौत पर डोली निकाली जाएगी, बिन मुहूर्त के ही उठा ली जाएगी'भजन गाकर जीवन की वास्तविकता का संदेश दिया।अरावली की सुरम्य पहाड़ियों की तलहटी एवं घने जंगलों के बीच स्थित श्री गोरेश्वर महादेव मंदिर परिसर में रामकथा मे जंगल में मंगल की कहावत को चरितार्थ करते हुए बड़ी संख्या में महिला पुरुष भक्तगण कथा श्रवण करने पहुंचकर भक्ति रस में गोता लगा रहे हैं।
डेर वाले मंदिर श्रीराम कथा समिति ने किया संत श्री का सम्मान :-
इस अवसर पर डेरवाले बालाजी मंदिर श्री राम कथा समिति एवं महिला मंडल के सदस्यों के द्वारा व्यास पीठ पर पहुंचकर संत श्री केदार जी महाराज को पुष्प गुच्छ एवं शाल श्रीफल भेंट कर सम्मान किया।
संत श्री ने किया अतिथियों का सम्मान :-
इस अवसर पर कंवरलाल मीणा, शौकीनलाल सोनी, अमितसिंह राजपूत, सुरेश साहू,करणसिंह राजपूत, निर्मल मीणा, श्रीकांत छिपा,आशीष छिपा,मोहन ग्वाला आदि अतिथियों का संत श्री ने कुमकुम तिलक एवं रामनामी दुपट्टा ओड़ाकर स्वागत किया सभी ने संत श्री से आशीर्वाद लिया।