नीमच। जिस परिवार में प्रेम सद्भाव रहता है वहां शांति रहती है और प्रगति होती है हम सभी को परिवारों में प्रेम सद्भाव से रहना चाहिए संस्कारी परिवार ही प्रगति का परिचायक होता है। सुसंस्कारी परिवार के बिना कन्या का विवाह सफल नहीं होता है जिस प्रकार राजा रुक्मी ने अपनी पुत्री रूक्मणी का विवाह शुभ संस्कारी कृष्ण के साथ किया और संसार को ये संदेश दिया की संस्कारी व्यक्ति के साथ ही कन्या का विवाह करना चाहिए तभी उसका पारिवारिक जीवन सफल होता है यह बात भागवत आचार्य रमाकांत गोस्वामी ने कथा सुनाते हुए कही। वे चौकाना बालाजी के पीछे कमल अग्रसेन भवन में सिंहल परिवार द्वारा आयोजित भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है।
व्यास पीठ पर भागवत आचार्य रमाकांत जी गोस्वामी विराजे थे। कथा सुनाते आचार्य श्री महाराज ने कहा कि शुभ मंगल कार्य के लिए घर से प्रस्थान करना हो तो गुड शहद दही का सेवन करके ही निकालना चाहिए। रोज सुबह सूर्योदय से पूर्व सुबह जल्दी उठना चाहिए तभी जीवन का कल्याण होता है। पीड़ित मानवता की सेवा के लिए किया गया दान जीवन में साथ जाता है। धन संपत्ति वैभव सब यहीं रह जाते हैं। मनुष्य की मृत्यु के बाद उसके साथ पुण्य कर्म ही साथ जाते हैं। इसलिए हमें अच्छे काम करना चाहिए। हम जब भी तीर्थ के दर्शन के लिए जाए तो कुछ अंशदान दान करना चाहिए ताकि पुण्य बढ़ता रहे। श्री कृष्णा और मैया यशोदा के प्रेम से हमें यह शिक्षा मिलती है मां की ममता का संसार में कोई सानी नहीं होता है। मां की ममता से बढ़कर कोई प्रेम नहीं होता है।आधुनिक युग में विद्यार्थी शिक्षक से ज्ञान करने के प्राप्त करने के बाद अपने शिक्षक को भूल जाता है जबकि प्राचीन काल में श्री कृष्ण ने 64 दिन में सांदीपनि गुरु से उज्जैन में 64 कलाओं का ज्ञान प्राप्त किया था और अपने सांदीपनि गुरु के मृत पुत्र को वापस जीवित लौटाकर दक्षिणा प्रदान की थी जो संसार में आज तक उत्कृष्ट दक्षिणा है।
कथा विश्राम पर आरती कर प्रसादी का वितरण किया गया । इस अवसर पर सांसद प्रतिनिधि आदित्य मालू, विधायक दिलीप सिंह परिहार, लोकेश चांगल सहित बड़ी संख्या में समाज जन उपस्थित थे। इस अवसर पर 1500 कथा 6कॉलेज, 12 धर्मशाला/ आश्रम, 84 कोस में अनेक मंदिरों का जीर्णोद्धार आदि उल्लेखनीय सेवा कार्यों के लिए आचार्य रमाकांत जी गोस्वामी को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। कृष्ण रुक्मणी विवाह प्रसंग में झुमें भक्त :- श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा के मध्य जब पंडित जी महाराज ने रुक्मणी कृष्ण विवाह का प्रसंग सुनाया जैसे ही पंडाल में रुक्मणी और श्री कृष्ण के स्वांगधारी कलाकार आए तो भक्ति पंडाल में श्रद्धालु भक्त जयकारा लगाने लगे, महिलाएं मंगल गीत गाने लगी ,भक्त जनों ने फूलों से पुष्प वर्षा कर स्वागत किया और भजनों पर नृत्य किया, वरमाला की रस्म निभाई गई तत्पश्चात स्वांगधारी व्यास पीठ पर पहुंचे जहां पंडित जी महाराज ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। भजनों पर भक्तजन झूम उठे और रुक्मणी श्री कृष्ण के जयकारे लगे, झांकी में माता का स्वांग महिलाओं ने तथा रुक्मणी का अभिनय साक्षी अग्रवाल ने और यश अग्रवाल ने कृष्ण का स्वांग निभाते हुए अभिनय प्रस्तुत किया। कंस वध काल यमण कालिया देह वध की कथा सुनाई :- कथा के दौरान पंडित जी महाराज ने शिशुपाल रणछोड़ राजा रुकमणी आदि के प्रसंग सुनने के साथ ही कंस वध, कालियादेह, वध, कालयमण, मुचकुन्दं, द्वारकाधीश, नारद मुनि, राजा भीष्मक की पुत्री रेवती बलराम विवाह, शिशुपाल आदि की कथा और श्री कृष्ण का मथुरा आगमन सहित अन्य प्रसंग सुनाने के साथ वर्तमान परिपेक्ष्य में महत्व पर प्रकाश डाला।